Connect with us

उत्तराखण्ड

राजस्थान का वह मंदिर जहां खुद भगवान हैं कुंवारे, लेकिन कुंवारों की करवाते हैं शादी

राजस्थान का वो मंदिर जहां खुद भगवान हैं कुंवारे, लेकिन कुंवारों की करवाते हैं शादी
सीएन, नागौर।
राजस्थान के नागौर में एक ऐसा मंदिर और उसमे एक ऐसे लोकदेवता बसे हैं, जिनकी पूजा करने से शादी हो जाती है. वहीं, ये देवता खुद कुंवारे हैं. इन देवता को लोग ईलोजी महराज के नाम से जानते हैं. वैसे तो राजस्थान में सभी मंदिरों की मान्यता और पुरानी कथाएं अलग-अलग हैं, लेकिन ईलोजी महाराज को लेकर एक अजीब मान्यता है.  यहां रहने वाले ग्रामीण रामश्वेरलाल ने बताया कि ईलोजी महाराज की शादी से एक दिन पहले ही इनकी पत्नी होलिका की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद भगवान शिव ने इन्हें वरदान दिया कि बांझ स्त्रियां संतान के लिए और कुंवारे पुरुष-महिला अपनी शादी के लिए इन्हें पूजा करेंगे. नागौर में बसे लोकदेवता ईलोजी महाराज को सत्ते बु देवता के नाम से भी जाना जाता है. ग्रामीणों के मुताबिक, ईलोजी महाराज की ज्यादातर कुंवारे पुरुष और महिलाएं पूजा करते हैं और अपनी शादी के लिए मनोकामना करते हैं. कहा जाता है कि ईलोजो महाराज को भगवान शंकर से वरदान मिला हुआ है कि जो भी कुंवारे पुरुष और महिलाएं और बांझ स्त्रियां इनकी पूजा करेंगी तो उनकी मन की इच्छा जल्द पूरी हो जाएगी. वहां के लोगों का कहना है कि ईलोजी महाराज का होने वाली पत्नी राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका थी. होलिका को वरदान मिला हुआ था कि उसकी मृत्यु आग से नहीं होगी, लेकिन जब वह प्रहलाद को अपने गोद में लेकर आग में बैठी, तो वह जल गई और उसकी मौत हो गई. वहीं, जब अपनी होने वाली पत्नी के मरने के बाद ईलोजी महाराज भी अपने प्राण त्याग देने वाले थे, तभी उन्हें भगवान शिव ने वरदान दिया कि शादी नहीं होने वाले स्त्री पुरुष और जो महिलाएं मां नहीं बन सकेंगी, उनकी तुम्हारी पूजा करने पर झोली भर जाएगी.  नागौर जिले के खींवसर बाजार के बीच में ईलोजी महाराज की दो मूर्तियां हैं, जहां दूर-दूर से पूजा करने और मनोकामना लेकर आते हैं.
इलोजी महाराज और होलिका की अधूरी प्रेम कहानी
होलिका दहन की कहानी किसी से छिपी नहीं है. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने अपने भाई के आदेशानुसार उनके पुत्र प्रहलाद को जलाने के लिए गोद में लेकर आग में बैठ गईं थीं. होलिका को आग में जलने का वरदान था. इसके बाद भी होलिका आग में जल गईं थीं. वहीं प्रभु की कृपा से प्रहलाद की जान बच गई थी. वहीं होलिका से प्यार करने और शादी करने वाले इलोजी का प्रेम शादी से पहले ही अमर हो गया. इलोजी ने फिर होलिका की याद में कभी शादी नहीं की. इतना ही नहीं इलोजी आज भी दूल्हे के पहनावे में ही पाए जाते हैं. उनके कई मंदिरों में उनकी मूर्ती में गले में फूलों का हार डला रहता है. चमकीली आंखों वाले इलोजी के सिर पर साफा बंधा रहता है जिसमें कलंगी जरूर लगी होती है. इलोजी के हाथ-पैर भी कंगनों से भरे रहते हैं. राजस्थान में इलोजी को लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है. राजस्थान के पाली में धानमंडी व सर्राफा बाजार में 150 साल पुराना मंदिर आज भी मौजूद है. यहां महिलाएं संतान सुख के लिए कामना करने आती हैं. साथ ही व्यापारी अपनी धंधे में बृद्धि की कामना भी इलोजी से करने आते हैं. पाली में मंदिर में प्रतिमा को पाठा बिठाने की रस्म होती है. साथ ही यहां ठंडाई और पेठे का भोग लगाया जाता है. धुलंडी के दूसरे दिन यहां बादशाह का मेला भी भरता है. इस मेले में आस-पास के सैकड़ों लोग यहां शिरकत करते हैं. इलोजी के दर्शन के बाद धानमंडी में तणी खोलने की रस्म भी निभाई जाती है. कई सालों से यहां परंपरा है कि ताणी खोलने की रस्म के बाद ही बाजार खोले जाते हैं. बता दें कि शादी के एक दिन पहले ही होलिका की मौत हो जाती है. इस बात से इलोजी काफी दुखी हो जाते हैं. बारात दुल्हन की चौखट पर पहुंच नहीं पाती है और दुखद समाचार आ जाता है. गम में डूबे इलोजी होलिका के पास पहुंचते हैं और शव को देखकर जमकर विलाप करते हैं. माना जाता है कि इलोजी ने होलिका की राख को अपने शरीर पर मलकर अपना प्यार जताया था. साथ ही ताउम्र शादी नहीं की और होलिका की याद में जीवन बिताया. होली जलने के दूसरे दिन धूल भरी होली के रूप में लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं.

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING