उत्तराखण्ड
आज पुण्य तिथि : योजना बनाओ ऐसी कि गुलशन चमन का महक उठे : प्रताप भय्या
शिक्षा के क्षेत्र में प्रताप भैया का था अहम योगदान
सीएन, नैनीताल। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राजनीति में अपना विशिष्ट स्थान रखते हुए सामाजिक शिक्षा के क्षेत्र में स्व. प्रताप भय्या जी ने कई आयाम खड़े किये। आज उनकी पुण्य तिथि हैं। समाज में विरले ही व्यक्ति ऐसे होते हैं जो क्रांतिकारी नूतन विचार, कर्म और सेवा से जनमानस को न केवल नई दिशा देते हैं वरन मृत्यु के बाद भी अजर अमर होकर भविष्य के लिए प्रेरणा बन जाते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत थे प्रताप भैया। प्रताप भैया का जन्म 30 दिसंबर 1932 को नैनीताल जिले के च्यूरीगाड़ गांव में आन सिंह के घर में हुआ था। प्रताप भैया 1957 से लेकर 1962 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा में सबसे कम उम्र के विधायक और 967-68 में 10 माह तक उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य व सहकारिता विभाग मेें सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री रहे। शैक्षिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रताप भैया ने 1959 में थारु इंटर कालेज खटीमा की स्थापना की। जवानों की स्मृति में 1 जुलाई 1964 को भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय नैनीताल की स्थापना की। यह विद्यालय आज भी यूरोपियन पब्लिक स्कूलों का विकल्प बना है। भैया ने शिक्षाविद् आचार्य नरेंद्र देव से प्रेरणा लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 120 से अधिक स्कूल स्थापित किए।
अपने द्वारा स्थापित सैनिक स्कूल में आते थे अतिविशिष्ट व्यक्ति
प्रताप भैया के जीवनकाल में कोई ऐसा अतिविशिष्ट व्यक्ति छूटा न होगा, जिनको उन्होंने नैनीताल सैनिक विद्यालय में आमंत्रित न किया हो जो अतिविशिष्ट व्यक्तियों को छात्र किताबों में पढ़ा करते थे, इस विद्यालय के छात्रों को उनके सामने रूबरू होने का अवसर मिला। राजनैतिक विचारधारा में मतभेद हो सकता है, लेकिन विद्यालय को हर राजनैतिक विचारधारा के व्यक्तित्वों का आशीर्वाद मिलता रहा। पूर्वप्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गान्धी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्रशेखर, इन्द्रकुमार गुजराल, राजीव गांधी, पूर्वराष्ट्रपति वी.वी. गिरि, राज्यपाल बी.गोपाला रेड्डी, राज्यपाल अकबर अली, राज्यपाल रोमेश भण्डारी, राज्यपाल डॉ. बी. सत्यनारायण रेड्डी, मुख्यमंत्री चैधरी चरण सिंह, नारायण दत्त तिवारी, श्रीपतिमिश्र, बनारसी दास चतुर्वेदी, राम नरेश यादव, हेमवती नन्दन बहुगुणा, के अतिरिक्त राष्ट्रीय व प्रादेशिक राजनेताओं की एक लम्बी फेहरिस्त है, जिनका अपने प्रांगण मे स्वागत करने का सौभाग्य विद्यालय को मिला। विद्यालय के एक समारोह में उ.प्र. के तत्कालीन मुख्यमंत्री चैधरी चरण सिंह ने प्रताप भैया के जूनून को देखते हुए विद्यालय को अपनी शुभकामना देते हुए कहा था कि जिस विद्यालय को प्रताप सिंह जैसा दीवाना मिल गया है, उसकी उन्नति में कोई शंका की गुंजाईश नही रह जाती।
पूर्व विधायक डॉ. जन्तवाल के प्रताप भय्या की पुण्यतिथि पर उद्गार
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राजनीति में अपना विशिष्ट स्थान रखते हुए सामाजिक , शिक्षा के क्षेत्र में स्व. प्रताप भय्या जी ने कई आयाम खड़े किये। आज उनकी पुण्य तिथि पर नैनीताल के पूर्व विधायक डॉ नारायण सिंह जंतवाल ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए विचार व्यक्त किये। जो एकबार भी उन्हें मिला जीवन भर नहीं भूल पाया, एसी शख्सियत थे प्रताप भय्या!वे विविध सामाजिक पहलुओं पर निरन्तर कार्यरत रहे यथा शिक्षा समाज निर्माण समाजवादी लोकतंत्र के वास्तविक स्वरूप को धरातल पर उतारना! डॉ नारायण सिंह जंतवाल ने कहा एक गतिशील उत्तर दायित्व पूर्ण समाज बने इस हेतु उनका स्पष्ट दर्शन रहा शिक्षा मानव निर्माण का माध्यम बने,” योजना बनाओ एसी कि गुलशन चमन का महक उठे” यानि योजना समाज की आवश्यकता अनुरूप बने ताकि सामाजिक खुशहाली व भाईचारा बना रहे! वे अधिवक्ता रहे, अधिवक्ता का ध्येय होना चाहिए , सामाजिक जीवन की भावना से आगे बढ़कर ही देश ब्यवस्थित हो सकेगा, लोकतांत्रिक समाजवाद मानवीय मूल्यों से सृजित हो एसी उनकी मान्यता रही! वे जन्म जात नेता थे अपने गाँव में व स्कूली शिक्षा के समय से ही उनमें नेतृत्व के लक्षण दिखाई पढने लगे थे! लखनऊ विश्विद्यालय में उनकी नेतृत्व क्षमता निखर कर सामने आयी! आचार्य नरेन्द्र देव जी के सम्पर्क में आने पर वे उन्हें संस्कार पिता के रूप में मानने लगे ताउम्र उनके बिचारो व मूल्यों को आत्मसात कर धरातल में उतारते रहे! सबसे कम उम्र के विधायक (1957) व युवा काबीना मंत्री (1967) के रूप में उनकी गतिशीलता ने उन्हें प्रदेश व देश में एक मजबूत समाजवादी नेता की छवि प्रदान की! आचार्य नरेन्द्र देव शिक्षानिधि, शोध संस्थान, राष्ट्रीय लोकमंच लोकसदन पर्वतीय विकास विचार गोष्ठी दिल दिमाग हाथ खेत खलिहान प्रदर्शनी, अखिल भारतीय विधि विचार गोष्ठी, युसुफ मेहर अली केन्द्र सहित अन्य संस्थाओं के द्वारा लोक शिक्षण के माध्यम से भय्या जी समाज को सकारात्मक दिशा देने व सरकारों को जनमुखी नीतियां अख्तियार करने के लिए प्रेरित करते रहे! समाज के विभिन्न हिस्सों यथा सरकार के प्रतिनिधि ,अधिकारी, विश्वविद्यालयों के शिक्षक, अधिवक्ता, विषय विशेषज्ञ इत्यादि व सामान्यजन के बीच में स्वस्थ्य विचार विमर्श का मंच प्रदान किया! भय्या जी स्वंय में एक संस्था थे! ये उनका जीवट कार्य करने की अदम्य इच्छा शक्ति व समर्पण ही था कि तमाम कठिनाइयों के बीच भी संस्थाओं को खड़ा कर सके! एसी भी चर्चा होती है कि राजनीति में तेजी से आगे बढते उनके कदमों को रोकने के लिए विधानसभा क्षेत्र में उनके ब्यापक प्रभाव वाले क्षेत्र को अलग कर दिया गया! हम लोग अपने को सौभाग्यशाली मानते हैं कि भय्या जी के साथ निकट से कार्य करने व उनका स्नेह प्राप्त करने का अवसर मिला! आज जब सार्थक बहस मुबाहिस बहुत मुश्किल हो गयी है! अपने विचारों से भिन्न विचारों तर्कसंगत बातों को सुनने का धैर्य कमजोर पड़ रहा है! . . ऐसे माहौल में भय्या जी की व उनकी कार्य शैली की प्रासंगिकता बहुत बढ़ गयी है, उनकी कमी सभी को बहुत खलती है.. आइये प्रताप भय्या जी की पुण्यतिथि पर उनके कार्यों, मूल्यों व विचारों से प्रेरित होकर आगे बढें यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी!