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उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली

उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली
सीएन, देहरादून।
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता यूसीसी विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिल गई है। अब नियमावली बनने के बाद इसे राज्य में लागू कर दिया जाएगा। इसकी पुष्टि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट कर दी। सीएम ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि सभी प्रदेशवासियों के लिए अत्यंत हर्ष और गौरव का क्षण है कि उत्तराखंड विधानसभा से पारित हुए समान नागरिक संहिता विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। निश्चित तौर पर प्रदेश में समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने से साथ ही महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर लगाम लगेगी। इसके अलावा सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड में सामाजिक समानता की सार्थकता को सिद्ध करते हुए समरसता को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड समान नागरिक संहिता अपनी महत्वपूर्ण निभाएगा। उत्तराखंड सरकार पीएम मोदी के विजन के अनुरूप नागरिकों के हितों के संरक्षण और उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए संकल्पित है। मालूम हो कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। अगर रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया तो उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा। पति और पत्नी के जीवित रहते दूसरे विवाह पूरी तरह के प्रतिबंध रहेगा। इसके अलावा अगर शादीशुदा दंपति में से कोई एक बिना दूसरे की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उससे तलाक लेने और गुजारा भत्ते लेने का पूरा अधिकार होगा। सभी धर्मों में शादी की न्यूनतम उम्र युवकों के लिए 21 साल और युवतियों के लिए 18 साल निर्धारित की गई है। पति और पत्नी के बीच तलाक या घरेलू झगड़े के दौरान पांच साल तक के बच्चे की कस्टडी उसकी मां के पास ही रहेगी। वहीं सभी धर्मों में पति और पत्नी को तलाक लेने के समान अधिकार दिए गए है। मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक रहेगी। सभी धर्मों और समुदायों में बेटी को संपत्ति में समान अधिकार दिया जाएगा। संपत्ति के अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चे में कोई भेद नहीं होगा। नाजायज बच्चों को भी उस दंपति का जैविक संतान में गिना जाएगा। किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति में पत्नी और बच्चों को समान अधिकारी दिया जाएगा। पत्नी और बच्चों के साथ माता.पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार होगा। वहीं किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकारी को भी संरक्षित किया गया है। उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद कपल की सूचना रजिस्ट्रार उनके माता.पिता या अभिभावक को देगा। इसके अलावा लिव इन रिलेशन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस कपल का जायज बच्चा ठहराया जाएगा। उस बच्चे को जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे। बता दें कि हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर उत्तराखंड समान नागरिक संहिता 2024 विधेयक को सदन से पास करवाया था। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है जहां उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू किया जाएगा। गौरतलब हो कि उत्तराखंड में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी का मुद्दा उठाया था। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से वादा किया था कि यदि उनकी पार्टी चुनाव जीतकर आती है तो वो उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लेकर आएंगे। यही कारण था कि चुनाव जीतने और मुख्यमंत्री बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। समिति को जन संवाद में कई सुझाव मिले थे जिन पर गहनता से अध्ययन करने के बाद यूसीसी का अंतिम ड्राफ्ट तैयार किया गया था, जिसे धामी सरकार ने बीती 6 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा से पास कराया था।

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