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जीवन की संभावना बन सकती है यूरोपा में

सीएन, नैनीताल। यूरोपा बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमाओं में शामिल है।  यह चंद्रमा गैलीलियन हैं और  बृहस्पति नजदीकी वाला दूसरा ग्रह है। अभी तक जानकारी के अनुसार  यूरोपा का व्यास 3,100 किमी है। यह लगभग हमारे चंद्रमा के बराबर ही है।  वैज्ञानिकों का मानना ​​​​है कि यूरोपा की सतह बर्फीली है साथ ही पानी की भी है। जिसमें कीचड़ है और उसके नीचे  महासागर  है। जिस कारण वैज्ञानिक इस चंद्रमा पर जीवन की संभावना जताते हैं।  इस बार  29 सितंबर, 2022 को  जूनो व उपग्रह यूरोपा के बीच दूरी मात्र  538 किमी  रह जाएगी। बहरहाल जूनो अभी यूरोपा से 83397 किमी की दूरी पर है। 

आगले तीन साल तक मिशन से जुड़ा रहेगा जूनो 

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 नासा का जूनो मिशन अभी और तीन साल काम करेगा, जो सितंबर 2025 तक अपने मिशन को पूरा करेगा। नासा के अनुसार इसकी 42 कक्षा बनाई गई हैं। इस ग्रह पर वैज्ञानिक बेहद दिलचस्पी रखते हैं। जिसके चलते नासा के वैज्ञानिक अंतरिक्ष दूरबीन हबल से भी इस उपग्रह का अध्ययन कर चुके हैं। 

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2011 में भेजा गया था जूनो को

अंतरिक्ष अनुसन्धान परिषद् नासा ने बृहस्पति व उसके उपग्रहों के अध्ययन  के लिए पृथ्वी से 5 अगस्त 2011 में जूनो अंतरिक्ष शोध यान को लॉन्च किया गया था। लगभग 5 वर्ष लंबी यात्रा के बाद 5 जुलाई 2016 में  बृहस्पति पर पहुंचा था।  इस अभियान पर लगभग 1.1 अरब डॉलर  खर्च हुआ है।  पृथ्वी से बृहस्पति पर पहुँचने में लगभग 5 साल का लंबा सफर तय करना पड़ा। 

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श्रोत: Earthsky

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