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बड़ी कामयाबी : चंद्रयान से अलग होकर चांद की ओर अकेला निकल पड़ा विक्रम
बड़ी कामयाबी : चंद्रयान से अलग होकर चांद की ओर अकेला निकल पड़ा विक्रम
सीएन, नई दिल्ली। आज की दोपहर चंद्रयान-3 के लिए अहम है। वह दो हिस्सों में बंटने वाला है। अब तक प्रॉपल्शन मॉड्यूल के साथ सफर कर रहा लैंडर अलग हो जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने गुरुवार को प्रोपल्शन मॉड्यूल विक्रम लैंडर से सफलतापूर्वक अलग कर दिया है। इसके साथ ही अब चंद्रयान-3 दो टुकड़ों में बंट गया है। इसरो ने आज यानी 17 अगस्त को दोपहर करीब एक बजे चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से अलग किया। इसके बाद आगे का सफर विक्रम लैंडर अपने आप ही तय करेगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में 3-6 महीने रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। आगे उसे अपना रास्ता अकेले तय करना होगा। यह भी जान लीजिए कि विक्रम लैंडर ही 23 अगस्त को चांद पर उतरेगा। ये 23 अगस्त को शाम 5.25 बजे लैंड करेगा। साइंटिस्ट टी. वी. वेंकटेश्वरन ने बताया कि लैंडर के पेट के अंदर रोवर मौजूद है। धरती से अब तक लैंडर और रोवर के साथ प्रॉपल्शन मॉड्यूल ने सफर तय किया है। आज इसरो सेपरेशन का फैसला ले रहा है, इससे दो चीजें स्पष्ट हो जाती हैं। पहला, लैंडर मॉड्यूल का इंजन और दूसरी चीजें ठीक से काम कर रही हैं। अलग होने के बाद लैंडर अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा यानी उसके पास पूरी क्षमता है। दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात आज लैंडर को अलग किया गया तो 23 अगस्त या 24-25 तक पक्का चांद पर लैंडिंग का प्लान करना ही पड़ेगा।
धड़कनें बढ़ाने वाला पड़ाव आगे है
चंद्रयान-2 के समय भी सफलतापूर्वक की गई थीं। उस समय भी लैंडर अलग होकर चांद की तरफ बढ़ा था लेकिन 2.1 किमी की दूरी बाकी थी तब स्पीड नियंत्रित नहीं हो पाई और क्रैश लैंडिंग हो गई थी। जब लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट होंगे तो खौफ का समय होगा। धड़कनें वाला टाइम। साइंटिस्ट भी इस बात को समझ रहे हैं। दरअसल, जब यान चांद के 100×100 ऑर्बिट में होगा तो लैंडर प्रॉपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाता है। अगला पड़ाव तब आएगा जब लैंडर चांद से 30 किमी की दूरी पर पहुंचेगा। वहां से उसके चांद की सतह पर नीचे उतरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। आगे लैंडर फूंक-फूंककर कदम रखेगा। चांद की सतह से 100 मीटर की दूरी होने पर अपना लैंडर रुकेगा और वह मुआयना करेगा कि क्या वह सही जगह पर है। विज्ञान प्रसार के अंतरिक्ष वैज्ञानिक वेंकटेश्वरन ने बताया कि इसरो ने पिछले फेल्योर का स्टडी कर पूरी तैयारी के साथ चंद्रयान-3 को भेजा है। इसे ऐसे समझ लीजिए कि लैंडर के पास चार इंजन हैं। उसमें से सिर्फ दो इंजन भी काम करेंगे तो कोई दिक्कत नहीं होगी। दरअसल 40-50 दिन बाद लैंडर का इंजन अब स्टार्ट होगा इसलिए इसरो ने तैयारी पुख्ता की है। इस बार लैंडर के पैर को काफी शक्तिशाली बनाया गया है जिससे वेग में भी लैंडर उतरा तो क्रैश नहीं होगा। पूरा भारत इस समय चांद पर उतरने की कामना और प्रार्थना कर रहा है।