अंतरराष्ट्रीय
ओली सरकार की वापसी से चीन की चांदी या भारत से और करीब आएगा नेपाल
ओली सरकार की वापसी से चीन की चांदी या भारत से और करीब आएगा नेपाल
सीएन, नई दिल्ली। नेपाल में एक बार फिर सरकार बदल गई है। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नई सरकार बनाने को लेकर अपना दावा भी पेश कर दिया है। ओली ने ये दावा मौजूदा प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के संसद में विश्वास मत हारने के बाद पेश किया है। नई सरकार बनाने का दावा ठोकने के बाद ओली ने कहा कि उन्हें 166 सांसदों का समर्थन हासिल है। इन सांसदों में से खुद उनकी पार्टी यूएमएल के 78 और नेपाली कांग्रेस के 88 सांसद शामिल हैं। नेपाल में मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता कोई पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी कई बार मौजूदा सरकार के गिरने या गिराने के बाद दूसरी पार्टी ने सत्ता में वापसी की है। विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि सत्ता में ओली की वापसी से चीन का फायदा हो सकता है। केपी ओली के चीन के साथ संबंध शुरू से ही अच्छे रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अगर ओली सरकार ने इस बार सत्ता में वापसी करने के बाद भारत के प्रति अपना रुख नहीं बदला तो चीन के सामरिक प्रभाव के कारण इसका असर कुछ हद तक ही सही लेकिन भारत-नेपाल के रिश्ते पर पड़ेगा जरूरी। नेपाल में 2008 में राजशाही के खात्मे के बाद से ही यहां राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी रहा है। यही वजह है कि बीते 16 साल के लोकतंत्र के इस छोटे से कालखंड में ही नेपाल ने 13 प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देखा है। 2006 के बाद से खुद प्रचंड तीसरी बाद नेपाल के पीएम बने हैं। इससे पहले प्रचंड 2008 से 2009 और 2016 से 2017 तक नेपाल के पीएम रह चुके हैं। दिसंबर 2022 में एक बार फिर पीएम बनने के बाद से प्रचंड संसद पांच बार विश्वास प्रस्ताव का सामना कर चुके हैं। इस बार वो सदन में अपना बहुमत साबित नहीं कर सके। ओली की प्रार्टी और नेपाली कांग्रेस के बीच सरकार चलाने को लेकर एक समझौता हुआ है। इसी समझौते के तहत दोनों पार्टियां गठबंधन का हिस्सा बनी हैं। आपको बता दें कि सरकार बनाने के लिए साथ आने से पहले ओली की कम्युनिस्ट पार्टी और नेपाली कांग्रेस एक दूसरे के विरोधी माने जाते रहे। नेपाल के मौजूदा पीएम प्रचंड के संसद में बहुमत साबित ना कर पाने की वजह से ओली की कम्युनिस्ट पार्टी और नेपाली कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ है। इस गठबंधन के तहत जो शर्त रखी गई है वो ये है कि सत्ता में वापसी करने के बाद पहले डेढ़ साल के लिए ओली नेपाल के पीएम बनेंगे और डेढ़ साल के बाद डेयुबा ये पद अगले डेढ़ साल के लिए संभाल लेंगे। बता दें कि नेपाल में 2027 में आम चुनाव होने हैं। नेपाल भारत के पड़ोसी मुल्कों में से एक है। बीते कुछ समय से जिस तरह से चीन की रुचि नेपाल में बढ़ी है उसे देखते हुए नेपाल भारत के लिए कूटनीतिक स्तर पर अब बेहद खास हो चुका है। ऐसे में अब जब नेपाल में ओली सरकार की वापसी तय हो चुकी है तो ये जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर इसका असर भारत पर कितना पड़ेगा। जानकारों का मानना है कि ओली के एक बार फिर नेपाल का प्रधानमंत्री बनने से नेपाल और भारत के संबंध में ज्यादा कुछ बदलाव नहीं होंगे। वहीं कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि अगर केपी ओली एक बार फिर पीएम बनते हैं तो ये भारत के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। हालांकि इस बार नेपाल में जो नई सरकार बनने जा रही है वो गठबंधन की सरकार होगीए लिहाजा पहले की तरफ ओली स्वतंत्र रूप से कोई भी बड़ा फैसला नहीं ले पाएंगे। उन्हें गठबंधन धर्म का पालन करना ही होगा। एनडीटीवी इंडिया से साभार