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आज है वर्ल्ड यूएफओ डे : क्या आ गया है उड़नतश्तरी के मुद्दे के पर गंभीर होने का समय

आज है वर्ल्ड यूएफओ डे : क्या आ गया है उड़नतश्तरी के मुद्दे के पर गंभीर होने का समय
सीएन, नैनीताल।
वर्ल्ड यूएफओ डे हर साल 2 जुलाई को मनाया जाता है जो अनजाने उड़नतश्तरी यूएफओ के अस्तित्व के प्रति जागरूकता फैलाने और उन्हें देखने के दावों पर ध्यान केंद्रित करने का एक विशेष दिन है। इस दिन का उद्देश्य यूएफओ और उनके संभावित प्रमाणों के बारे में चर्चा को प्रोत्साहित करना है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य यूएफओ से जुड़े रहस्यों और प्रश्नों पर ध्यान आकर्षित करना और दुनिया भर में यूएफओ देखे जाने की घटनाओं को प्रोत्साहित करना है। वर्ल्ड यूएफओ डे की शुरुआत का श्रेय यूएफओ शोधकर्ता और उत्साही हाक्तन अक्दोगन को दिया जाता है जिन्होंने 2001 में इस दिन की स्थापना की। यह दिन उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो मानते हैं कि यूएफओ वास्तव में मौजूद हैं और वे पृथ्वी के बाहर की जीवन की संभावना के संकेत हो सकते हैं। यूएफओ जिसका हिंदी में अर्थ अज्ञात उड़ती हुई वस्तु होता है। यह शब्द किसी भी ऐसी उड़ती हुई वस्तु के लिए प्रयोग किया जाता है जिसे पहचाना नहीं जा सका हो। यूएफओ अक्सर एलियन स्पेसक्राफ्ट से जुड़ी घटनाओं और षड्यंत्र सिद्धांतों के संदर्भ में चर्चा में आते हैं। यह पहली बार है जब अमेरिकी सरकार और नासा जैसी बड़ी वैज्ञानिक संस्था खुल कर यूएफओ का जिक्र कर रही है और उन्हें गंभीरता से ले रही हैं अमेरिकी कांग्रेस में हुई जनसुनवाई में भी ज्यादा कुछ सवालों के जवाब नहींं हां इसमें इतना यह जरूर पता चला कि सेना के पास भी ज्यादा जानकारी नहीं हैं और ना ही उन्हें इस  बारे में किसी तरह के स्पष्ट या निर्णायक प्रमाण मिल सके हैंं सरकारी संस्थाओं के पास आंकड़े कम हैं और व्याख्या ना की जा सकने वाली घटनाओं की संख्या ज्यादां क्यों
एक सवाल यह भी है कि आखिर 2 जुलाई को ही विश्व यूएफओ दिवस क्यों मनाया जाता है तो ऐसा नहीं है कई जगहों पर इसे 24 जून को भी मनाया जाता है, लेकिन ज्यादा लोकप्रियता 2 जुलाई की ही है। 2 जुलाई को 1947 को न्यूमैक्सिकोम में रोजवेल के पास अमेरिका की वायुसेना का एक गुब्बारा नष्ट हो गया था जिसके बारे में यह बात फैली कि इसके पीछे एक उड़न तश्तरी का टकराव था और यूएफओ की काफी चर्चा होती रही थी। इस बात मे कोई शक नहीं है कि पृथ्वी पर जीवन की अनुकूलता बहुत विरल किस्म की अवस्था है जो करोड़ों अरबों सालों की प्रक्रियाओं से विकसित हुई है। लेकिन ज्ञात ब्रह्माण्ड की विशालता को देखते हुए ही यह दावा नहीं किया जा सकता है पृथ्वी के बाहर जीवन होने की कोई संभावना नहीं है यानी पृथ्वी से बाहर ब्रह्मांड के अन्य कोनों में बुद्धिमान जीवन की मौजूद नहीं हैं सच यह है कि हम अभी अपने सौरमंडल का ही अच्छे से अवलोकन नहीं कर सकें हैं।

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