Connect with us

अंतरराष्ट्रीय

आज 15 मार्च को संयुक्त राष्ट्र ने इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में किया घोषित

आज के ही दिन संयुक्त राष्ट्र ने 15 मार्च को इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में किया घोषित
सीएन, नैनीताल।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2022 से शुरू होकर हर साल 15 मार्च को इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया प्रस्ताव, 15 मार्च, 2022 को इस्लामिक सहयोग संगठन की ओर से पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम द्वारा पेश किया गया था। यह उस दिन को चिह्नित करता है जब एक बंदूकधारी ने क्राइस्टचर्च न्यूजीलैंड में दो मस्जिदों में प्रवेश किया जिसमें 51 उपासकों की मौत हो गई और 40 अन्य घायल हो गए। इस्लामिक सहयोग संगठन  किया गया प्रस्ताव अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन मिस्र, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जॉर्डन, कजाकिस्तान, कुवैत, किर्गिस्तान, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, मालदीव, माली, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, उज्बेकिस्तान और यमन द्वारा सह.प्रायोजित था। इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस का मुख्य उद्देश्य व्यवस्थित अभद्र भाषा और मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव को कम करना होगा, धार्मिक प्रतीकों और प्रथाओं के लिए सम्मान, साथ ही धर्म या विश्वास के आधार पर सभी प्रकार की असहिष्णुता और भेदभाव को समाप्त करना।
क्या है इस्लामोफोबिया या इस्लाम भीति
इस्लामोफोबिया या इस्लाम भीति मुसलमानों के प्रति तर्कहीन भय या घृणा का पूर्वाग्रह है। इस्लाम भीति दो शब्दों से मिलकर बना है , जिसका हिन्दी में अर्थ होता है- इस्लाम का भय। यह शब्दावली मुख्य रूप से पश्चिमी देशों द्वारा काम में ली जाती है। 1997 में, ब्रितानी रुन्नी डे ट्रस्ट ने इस्लाम भीति के बारे में बताते हुए कहा कि यह अवधारणा मुसलमानों को देश के आर्थिक सामाजिक और सार्वजनिक जीवन से बाहर करके मुसलमानों के विरुद्ध भेदभाव के व्यवहार को दर्शाती है। यह अवधारणा यह भी मानती है कि इस्लाम अन्य संस्कृतियों के साथ कोई भी मूल्य साझा नहीं करता हैं, यह पश्चिम की संस्कृति से निम्न कोटि का है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि भारत को उम्मीद है कि अपनाया गया प्रस्ताव एक मिसाल कायम नहीं करता जो चुनिंदा धर्मों के आधार पर फोबिया पर कई प्रस्तावों को जन्म देगा और संयुक्त राष्ट्र को धार्मिक शिविरों में विभाजित करेगा। भारत ने एक धर्म को अंतरराष्ट्रीय दिवस के स्तर तक बढ़ाए जाने के खिलाफ फोबिया पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि धार्मिक भय के समकालीन रूप बढ़ रहे हैं विशेष रूप से हिंदू विरोधी बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी फोबिया।

More in अंतरराष्ट्रीय

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING