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क्यों हुआ चंद्रमा मिशन लूना-25 क्रैश, चंद्रयान से लूना.25 को बताया था तगड़ा

क्यों हुआ चंद्रमा मिशन लूना-25 क्रैश, चंद्रयान से लूना.25 को बताया था तगड़ा
सीएन, नईदिल्ली।
हाल में रूस और भारत ने कुछ दिनों के अंतराल अपने-अपने स्पेश क्राफ्ट चंद्रमा के गहन अध्ययन के लिए भेजा, लेकिन भारत का चंद्रयान-3 इतिहास रचने के बस कुछ कदम ही दूर है, तो वही रूस का लूना-25 क्रैश हो चुका है। रूस की करीब आधी सदी बाद चांद की सतह पर उतरने की उम्मीदें उस वक्त टूट गईं, जब उसका चंद्रमा मिशन लूना-25 क्रैश हो गया। लूना-25 के क्रैश होने से रूस के अंतरिक्ष विज्ञानियों को बड़ा झटका लगा है। इसकी वजह से रूस के शीर्ष भौतिक विज्ञानी की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। खबर के अनुसार, रूस के लूना मिशन के क्रैश होने के कुछ ही घंटों बाद रूस के शीर्ष वैज्ञानिक मिखाइल मारोव (90 वर्षीय) की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। रूसी मीडिया के अनुसार, लूना-25 मिशन के फेल होने का उन्हें धक्का पहुंचा है। बाद में अस्पताल में मीडिया से बात करते हुए मिखाइल मारोव ने चंद्रमा मिशन के फेल होने पर कहा कि ‘अभी जांच चल रही हैं लेकिन मैं परेशान क्यों ना होऊं, यह जिंदगी भर का सवाल है, मैं इससे दुखी हूं। मारोव ने कहा कि ‘हम चांद पर सही तरीके से लैंडिंग नहीं कर पाए, यह दुखी करने वाला है। मेरे लिए यह हमारे चंद्रमा प्रोग्राम को फिर से शुरू करने का आखिरी मौका था।’ लूना-25 मिशन के साथ रूस को उम्मीद थी कि वह सोवियत संघ के समय के लूना प्रोग्राम को फिर से शुरू कर सकेंगे लेकिन रविवार को रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने पुष्टि की कि लूना-25 मिशन से संपर्क टूट गया है वह चांद की सतह पर क्रैश कर असफल हो गया है। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि लैंडिंग से पहले के ऑर्बिट में कोई तकनीकी खामी आने की वजह से रूस का लूना-25 मिशन नियंत्रण से बाहर चला गया था और आखिरकार चांद की सतह पर क्रैश हो गया। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी का शनिवार को ही लूना-25 से संपर्क टूट गया था। सोमवार को लूना-25 को चांद की सतह पर लैंड करना था। दरअसल, लूना-25 जो एक छोटी कार के आकार का रोबोट था, जिसने सोयुज रॉकेट के जरिए टेकऑफ किया था। बीते बुधवार को वह चंद्रमा की कक्षा में दाखिल भी हो गया था और सोमवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इसके लैंडिंग की पूरी योजना थी। लेकिन एक दिन पहले ही इसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया और ये मिशन अधूरा रह गया। इससे रूस को काफी बड़ा झटका लगा है। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि लूना-25 प्रपोल्‍शन मैनूवर के समय चंद्रमा की सतह से टकरा गया था, जिसकी वजह से ये दुर्घटना का शिकार हो गया और क्रैश हो गया। बता दें, तकनीकी खराबी आने के बाद करीब 10 घंटे तक लूना-25 के साथ कोई संपर्क नहीं हो पाया था।
अगर लूना-25 की सफल लैंडिंग हो जाती तो क्या होता?
रूस ने उम्मीद जताई थी कि अगर उसका ये मिशन सफल होता और लूना-25 सफलता पूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कर लेता तो ये एक साल तक चट्टान और धूल के नमूने एकत्र करता, जिससे चंद्रमा के बारे में अधिक जानकारी मिल पाती। वैज्ञानिकों का मानना है कि स्थायी रूप से छाया वाले ध्रुवीय क्रेटरों में पानी का जमाव हो सकता है, जिससे जमे पानी को भविष्य के खोजकर्ता हवा और रॉकेट ईंधन में बदल सकते थे। साथ ही चंद्रमा की सतह की मौलिक संरचना के साथ-साथ इसके कमजोर वायुमंडलीय आवरण, प्लाज्मा और कण पदार्थ को जांच की जा सकती थी, लेकिन अब रूस की ये उम्मीद और अधिक समय लेने वाली है।

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