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गुप्ता बंधुओ की गिरफ्तारी, क्या हर शहर में फैले है इस तरह के लोग

सिक्का चलता रहा ताे मीडिया, सरकार, सरकारी मशीनरी इनके इर्द गिर्द घूमती रही
सीएन, नई दिल्ली।
गुप्ता बंधुओ की गिरफ्तारी,क्या हर शहर में फैले है इस तरह के लोग। जी हा गुप्ता बंधुओ को पुलिस द्वारा अरेस्टिंग की खबर आज हर अखवार हर चैनल से लेकर वेबसाइट पोर्टल सोशल मीडिया में टॉप पर है। हमारे समाज में होता भी है जब तक ऐसे लोगो का सिक्का चल रहा होता है आम लोग से लेकर मीडिया, सरकार, सरकारी मशीनरी इनके इर्द गिर्द घूमती रहती है, क्योंकि इनका भी कही न कही कुछ फायदा पैसे की इमदाद के रूप में मिलता रहता है। बदले में ऐसे गुप्ता बंधु टाइप लोगो को खाद पानी मिलता रहता है और ये और इस टाइप के तमाम लोग जो हर शहर में दर्जनों की संख्या में आपको दिख जायेंगे। जिनको आपने ने छोटी मोटी राशन की दुकान चलाते हुए देखा होगा, लेकिन आज उनकी हैसियत करोड़ों के टर्न ओवर की दिखती है और ऐसे लोग मीडिया में भी अपनी मेहनत के मुकाम को मीडिया में विज्ञापन के रूप में बखान करते देखे जा सकते है। जिसमे वो कहते है हमने ये मुकाम अपनी मेहनत से हासिल किया। भला ये कैसे पॉसिबल है की छोटी सी राशन की दुकान से आदमी अरबों का मालिक कुछ दशकों में बन जाए। स्वाभाविक है की तमाम तरह के गोलमाल, तिकड़म, घोटाले, मिलावट करके संप्पति अर्जित की होगी। ईडी ऐसे लोगो को अपने रडार पर ले और ईमानदारी से जांच करे, तो उन्हे और समाज के लोग देख सकेंगे कि वास्तव में इन्होंने कितनी मेहनत से सब अर्जित किया है या तिकड़म गोलमाल, मिलावट करके। अभी हम बात कर रहे है दक्षिण अफ्रीका में अपना कारोबार जमाने वाला गुप्ता परिवार की। जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का रहने वाला है। इस परिवार में तीन भाई हैं। अजय, अतुल और राजेश। 1993 में इनके पिता शिव कुमार ने इन्हें दक्षिण अफ्रीका भेज दिया था। तीनों भाइयों ने जोहान्सबर्ग में सहारा कंप्यूटर्स के नाम से सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी बनाई और उसे अलग ऊंचाई तक पहुंचाया। इसके बाद इन्होंने खनन से लेकर मीडिया तक में कारोबार फैलाया। आज गुप्ता परिवार की दक्षिण अफ्रीका में कई संपत्तियां हैं। उनकी कंपनियों में दस हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। साउथ अफ्रीका में शिफ्ट होने से पहले अजय गुप्ता दिल्ली के एक होटल में नौकरी करते थे। अप्रैल 2016 में अजय ने बेटे कमल गुप्ता की शाही शादी की थी, इस शादी का रिसेप्शन उत्तराखंड के औली बुग्याल में हुआ। जबरदस्त विरोध के बावजूद रिसेप्शन में राजनीतिक दिग्गजों और बॉलीवुड हस्तियों से लेकर कई बड़े अधिकारियों ने शिरकत की थी। अजय के बेटे की शादी का रिसेप्शन भी चर्चा का केंद्र बना था। सहारनपुर के रहने वाले अजय गुप्ता के पिता शिवकुमार गुप्ता की सहारनपुर में रायवाला बाजार में एक छोटी सी राशन की दुकान थी। शहर के रानी बाजार स्थित एक छोटे से मोहल्ले में रहते थे। दुकान के पीछे ही उनका पुश्तैनी मकान था। अजय ने सीए का कोर्स किया तो भाइयों ने आईटी में इंजीनियरिंग की। साल 1985 में सहारनपुर से दिल्ली चले गए और वहां कुछ दिनों एक बड़े होटल में नौकरी की। इसके बाद नौकरी छोड़ दी और वर्ष 1993 में साउथ अफ्रीका चले गए। वहां अपने दोनों भाइयों के साथ मिलकर कंप्यूटर से जुड़ा बिजनेस शुरू किया। साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में कंप्यूटर और उसके पार्ट्स बनाने की कंपनी शुरू की। बताते हैं कि इसी दौरान अजय के दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जैकब जुमा से पारिवारिक संबंध हो गए।साउथ अफ्रीका में रहते हुए अजय उस वक्त विवादों में आए जब उन पर साउथ अफ्रीका के फाइनेंस मिनिस्टर नेने को हटाने का आरोप लगा। आरोप था कि उनके कहने पर ही साउथ अफ्रीका के प्रेसिडेंट जैकब जुमा ने फाइनेंस मिनिस्टर को उनके पद से हटाया था। इससे पहले वर्ष 2010 में एक सांसद को मंत्री बनवाने का आश्वासन दिए जाने का आरोप भी उन पर लगा था।

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