संस्कृति
होलिका दहन से पहले तैयार कर लें पूजा की सामग्री, जीवन में आ रही रुकावटें दूर
होलिका दहन से पहले तैयार कर लें पूजा की सामग्री, जीवन में आ रही रुकावटें दूर
सीएन, प्रयागराज। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन किया जाता है। जो कि पंचांग के अनुसार इस साल 7 मार्च 2023, मंगलवार को है। होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजन करने की परंपरा है और कहा जाता है कि होलिका दहन की पूजा करने से घर में आने वाले संकट दूर हो जाते हैं। होलिका दहन के दिन घर की महिलाएं सुबह होली का पूजा करके आती हैं और फिर रात्रि के समय पुरुष दहन में शामिल होते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि होलिका दहन की पूजा करते समय कोई गलती नहीं करनी चाहिए क्योंकि आपकी एक गलती आपके पूरे परिवार को मुश्किल में डाल सकती है। इसकी वजह से घर में नकारात्मकता प्रवेश कर सकती है। इसलिए पूजा के लिए सही व संपूर्ण पूजन सामग्री के बारे में पता होना जरूरी है। होलिका दहन के दिन घर के पास किसी चौराहे पर गोबर के उबलों व लकड़ियों से होलिका बनाई जाती है। फिर महिलाएं उसका विधि-विधान के साथ पूजन करती हैं। इस दिन पूजन सामग्री में कच्चा सूत, जल का लोटा, गुलाल, मीठे पकवान, गोबर की बनी होलिका, बताशे, रोली, गेंहू का बालियां, साबुत हल्दी, साबुत मूंग और फूलों की माला जरूर शामिल होनी चाहिए। होलिका दहन की पूजा से पहले घर में सबसे पहले गणेश भगवान और उसके बाद हनुमान जी और शीतला माता को प्रणाम करना ना भूलें। होलिका दहन की पूजा के दौरान जरूरी सामग्री जैसे घी का दीपक, फूलों की माला, चावल, पानी, जौं, गेंहू आदि चढ़ाएं। होलिका दहन के बाद ठंडा पानी अवश्य डालना चाहिए। होलिका दहन की पूजा के बाद घर आकर होलिका दहन की कथा व आरती जरूर पढ़नी चाहिए। होलिका दहन पूर्णिमा के दिन होता है और इस दिन अगर कोई महिला पूर्णिमा का व्रत रखती है तो उसे सत्यनारायण भगवान का भी विधि—विधान से पूजन करना चाहिए और कथा पढ़नी चाहिए। होलिका दहन की पूजा के वक्त मन में बुरे विचारों को ना आने दें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रात्रि में होलिका दहन से पहले स्नान जरूर करना चाहिए।
होली पर भद्रा का साया, कब होगा होलिका-दहन
इस वर्ष होलिका दहन को लेकर संशय बना हुआ है। कई जगह 6 मार्च 2023 को होलिका दहन होगा तो कई जगह 7 मार्च को किया जाएगा। यह स्थिति भद्रा होने के कारण बनी है। पूर्णिम पर भद्रा तो रहती ही है लेकिन इस बार दहन काल में भद्रा होने के कारण संशय की स्थिति है। पंचांगों के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा 6 मार्च सोमवार को सायं 4.19 बजे से 7 मार्च मंगलवार को सायं 6.10 बजे तक रहेगी। भद्रा 6 मार्च को सायं 4.19 से 7 मार्च प्रात: 5.14 बजे तक रहेगी। 6 मार्च को प्रदोषकाल सायं 6.29 से रात्रि 9.10 बजे तक रहेगा और भद्रा का पुच्छकाल रात 12.43 से रात 2.01 बजे तक रहेगा। होलिका दहन भद्रा में निषेध है पर यही भद्रा मध्यरात्रि के बाद समाप्त होती है तो भद्राकाल के अंतर्गत प्रदोषकाल अथवा भद्रापुच्छ में होलिका दहन की शास्त्राज्ञा है। यदि दूसरे दिन पूर्णिमा साढ़े तीन प्रहर से अधिक हो साथ में वृद्धिगामिनी हो तो होलिका दहन दूसरे दिन पूर्णिमा में किया जाता है। यहां दिनांक 6 मार्च को प्रदोषकाल में व रात्रि में पूर्णिमा है, भद्रा भी सायं 4.19 से दूसरे दिन सूर्योदय पूर्व 5.14 तक रहेगी। दूसरे दिन पूर्णिमा साढ़े तीन प्रहर से अधिक सायंकाल 6.10 तक रहेगी किंतु प्रतिपदा तिथि ह्रासगामिनी होने से पूर्णिमा तिथि में भद्रांतर्गत प्रदोषकाल अथवा भद्रापुच्छ में होलिका दहन किया जा सकेगा।