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भारत हिमालयी राज्यों के अलावा और कहाँ मिलता है देवताओं द्वारा खाया जाने वाला काफल

भारत हिमालयी राज्यों के अलावा और कहाँ मिलता है देवताओं द्वारा खाया जाने वाला काफल
सीएन, नैनीताल।
इन दिनों पहाड़ को जाने वाली सड़कों के किनारे काफल की टोकरी लिये पहाड़ी खूब दिख रहे हैं। लोक में माना जाता है कि काफल देवताओं द्वारा खाया जाने वाला फल है। देवताओं द्वारा खाए जाने वाले ख़ालिस पहाड़ी फल इन दिनों बहुत से पहाड़ियों के मौसमी रोजगार का हिस्सा है। यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि पहाड़ का लोकगीत और लोक साहित्य काफल के बिना अधूरा है। पहाड़ के लोक में काफल हर तरफ दिखने वाले इस फल का वानस्पतिक नाम मिरिका ऐस्कुलेटा है। मिरिकेसियाई परिवार से ताल्लुक रखने वाला यह एक सदाबहार पेड़ है जो 2800 फीट से 6000 फीट तक की ऊँचाई में आसानी से मिल जाता है. भारत के हिमालयी क्षेत्र में काफल खूब पाया जाता है। रावी के पूर्व से असम तक हिमालयी क्षेत्र में मिलने वाला यह फल अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर, उत्तराखंड, हिमांचल और मेघालय जैसे कुछ अन्य भारतीय राज्यों में भी मिलता है। इन राज्यों में इनके नाम अलग-अलग हैं। कम लोग ही जानते हैं कि भारत के बाहर भी काफल का फल मिलता है. भारत के अलावा यह नेपाल में भी पाया जाता है। पश्चिमी नेपाल में यह काफल नाम से ही जानता है. नेपाल के अलावा काफल चीन, भूटान, वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान और जापान जैसे देशों में भी काफल का फल होता है। पहाड़ियों द्वारा सिल-बट्टे में पीसे नमक के साथ खाये जाने वाला काफल पौष्टिकता से भरा फल है जिसमें कैल्शियम, कार्बोहाईड्रेट, मैग्नीशियम, प्रोटीन, फाइबर, वसा, पोटेशियम की भरपूर मात्रा पायी जाती है। काफल के फल के अलावा इसका पेड़ भी काफ़ी लाभकर होता है।
काफल से मधुमय रोग उच्च एंव निम्न रक्त चाप होता है नियन्त्रित
काफल का वैज्ञानिक नाम मिरिका एस्कुलेंटा है। उत्तरी भारत और नेपाल के पर्वतीय क्षेत्र, मुख्यत: हिमालय के तलहटी क्षेत्र मैं पाया जाने वाला एक वृक्ष या विशाल झाड़ी है। ग्रीष्मकाल में इस पर लगने वाले फल पहाड़ी इलाकों में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। इसकी छाल का प्रयोग चर्मशोधन (टैंनिंग) के लिए किया जाता है। काफल का फल गर्मी में शरीर को ठंडक प्रदान करता है। साथ ही इसके फल को खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाती है एवं हृदय रोग, मधुमय रोग उच्च एंव निम्न रक्त चाप नियान्त्रित होता है। काफल ट्री से साभार

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