संस्कृति
आज शुक्रवार से पारसी नववर्ष नवरोज की हुई शुरुआत : नए दिन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है उत्सव की तरह
आज शुक्रवार से पारसी नववर्ष नवरोज की हुई शुरुआत : नए दिन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है उत्सव की तरह
सीएन, नैनीताल। आज यानी कि 16 अगस्त शुक्रवार से पारसी नव वर्ष की शुरुआत हो गई है। इसे नवरोज भी कहा जाता है। पारसी समुदाय के नववर्ष को नवरोज कहा जाता है। ये त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है, एक 16 अगस्त को और दूसरा 21 मार्च को। दरअसल नवरोज एक फारसी शब्द है, जो नव और रोज से मिलकर बना है। नवरोज में नव का अर्थ होता है. नया और रोज का अर्थ होता है दिन। इसलिए नवरोज को एक नए दिन के प्रतीक के रूप में उत्सव की तरह मनाया जाता है। ईरान में नवरोज को. ऐदे नवरोज कहा जाता है। पारसी नव वर्ष पारसी समुदाय के लिए आस्था का विषय है। नवरोज का उत्सव पारसी समुदाय में पिछले तीन हजार साल से मनाया जाता रहा है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार वैसे तो एक साल में 365 दिन होते हैं, लेकिन पारसी समुदाय के लोग 360 दिनों का ही साल मानते हैं। साल के आखिरी पांच दिन गाथा के रूप में मनाए जाते हैं। यानी इन पांच दिनों में परिवार के सभी लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं। नवरोज के दिन पारसी धर्म को मानने वाले लोग सुबह जल्दी उठकर तैयार हो जाते हैं। इस दिन घर की साफ.सफाई करके घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है। फिर खास पकवान बनाए जाते हैं। इसके अलावा इस दिन एक.दूसरे के प्रति प्रेम व्यक्त करने के लिए आपस में उपहार भी बांटते हैं। साथ ही पारसी लोग चंदन की लकड़ियों के टुकड़े घर में रखते हैं। ऐसा करने के पीछे उनकी ये मान्यता है कि चंदन की लकड़ियों की सुगंध हर ओर फैलने से हवा शुद्ध होती है। मान्यताओं के अनुसार पारसी धर्म को मानने वाले लोग नवरोज का पर्व राजा जमशेद की याद में मनाते हैं। कहा जाता है कि करीब तीन हजार साल पहले पारसी समुदाय के एक योद्धा जमशेद ने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। तब से आज तक लोग इस दिन को नए साल के रूप में मनाते हैं। ये भी कहा जाता है कि इसी दिन ईरान में जमदेश ने सिंहासन ग्रहण किया था। नवरोज के पर्व को पारसी समुदाय बहुत ही धूमधाम के साथ मनाता है। नवरोज का मतलब होता है नया साल अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से पूरी दुनिया 1 जनवरी को नया साल मनाती है लेकिन अलग-अलग समुदायों का नया साल उनके कैलेंडर के मुताबिक मनाया जाता है। पारसी कैलेंडर के हिसाब से उनका नया साल 16 अगस्त से शुरू होता है। इस दौरान पारसी लोग ने साल का मिलकर जश्न मनाते हैं। बता दें कि पारसी न्यू ईयर को जमशेदी नवरोज भी कहा जाता है। दरअसल पारसी कैलेंडर में जिस राजा ने सौर गणना की शुरुआत की थी उनका नाम जमशेद था। इसलिए नवरोज जमशेदी नवरोज भी कहलाता है। नवरोज के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर घर को साफ करके इसे सजाते.संवारते हैं। लोग खुद भी अच्छी तरह से तैयार होते हैं और फिर पूजा.पाठ करते हैं। बढ़िया.बढ़िया व्यंजन बनाकर उसका भोग भगवान को चढ़ाते हैं और पूरी साल शुभ होने का आशीर्वाद मांगते हैं। इस दिन पारसी पारंपरिक खाना बनाते हैं, खाने में वह झींगे, मीठी सेव दही, बेरी पुलाव, फरचा, धंसक समेत और भी बहुत कुछ बनाते हैं। पूजा के दौरान भगवान को मिठाई, मेवे के साथ ही मौसमी फल और सब्जियों का भी भोग लगाया जाता है। इस दिन हर के मेन गेट को खूबसूरती के साथ सजाया जाता है। साथ ही घर में लोबान जलाया जाता है और खुशबूदार अगरबत्ती भी जलाई जाती है। पारसी न्यू ईयर पर खुशहाली और धन-धान्य में वृद्धि के लिए राजा जमशेद की पूजा की जाती है, नए साल के मौके पर पारसी लोग दोस्तों और रिश्तेदारों में गिफ्ट का आदान-प्रदान करते हैं।