धर्मक्षेत्र
जीण माता के चमत्कार से हार गया था औरंगजेब, माफी मांग हर महीने भेजता था तेल
जीण माता के चमत्कार से हार गया था औरंगजेब, माफी मांग हर महीने भेजता था तेल
सीएन, सीकर। भारत में देवी मां के कई चमत्कारी और अद्भुत मंदिर हैं। इनमें से राजस्थान के सीकर जिले में स्थित जीण माता का मंदिर अपना विशेष महत्व रखता है। जीणा माता को देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। आज हम आपको इस मंदिर के चमत्कार के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। सीकर जिले के घंघू गांव में स्थित जिना माता मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। कहा जाता है कि इस मंदिर में मां से मांगी गई जीत की दुआ जरूर पूरी होती है। इस कारण यहां साल भर भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। करीब 1000 साल पुराना यह मंदिर घने जंगल से घिरा हुआ है। इस मंदिर में विशाल संगमरमर का शिवलिंग और नंदी की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे गिराने के लिए सैनिकों को भेजा था। जीण माता ने मधुमक्खियों के रूप में आकर मंदिर की रक्षा की। मुधमक्खियों के आक्रमण से मुगल सेना भाग खड़ी हुई और जीणमाता मंदिर सुरक्षित रहा। कहा जाता है कि इस घटना के बाद मुगल बादशाह औरंगजेब ने जीण माता से माफी मांगी। तभी से लोगों की मंदिर के प्रति आस्था और बढ़ गई थी। बाद में औरंगजेब को भी अपनी गलती का एहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने हर महीने आधा मन तेल चढ़ाने का वचन लिया था। इस वजह से आपको एक बार इस मंदिर के दर्शन जरूर करने चाहिए।
जीण माता मंदिर का इतिहास
लोक मान्यताओं के अनुसार जीवण का जन्म चौहान वंश के राजपूत परिवार में हुआ। उनके भाई का नाम हर्ष था। जो बहुत खुशी से रहते थे। एक बार जीवण का अपनी भाभी के साथ विवाद हो गया और इसी विवाद के चलते जीवण और हर्ष में नाराजगी हो गयी। इसके बाद जीवण आरावली के ‘काजल शिखर’ पर पहुँच कर तपस्या करने लगीं। मान्यताओं के अनुसार इसी प्रभाव से वो बाद में देवी रूप में परिवर्तित हुई। जीवण ने यहाँ जयंती माताजी की तपस्या की और जीण माताजी के नाम से पूजी जाने लगी। यह मंदिर चूना पत्थर और संगमरमर से बना हुआ है। यह मंदिर आठवीं सदी में निर्मित हुआ था। जीणमाता राजस्थान, भारत के सीकर जिले में धार्मिक महत्व का एक गांव है। यह दक्षिण में सीकर शहर से 29 किमी की दूरी पर स्थित है। शहर की आबादी 4359 है जिसमें से 1215 अनुसूचित जाति और 113 एसटी लोग हैं। श्री जीणमाता जी (शक्ति की देवी) को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। जीण माता जी का पवित्र मंदिर माना जाता है कि यह एक हजार साल पुराना है। लाखों भक्त यहां नवरात्रि के दौरान चैत्र और अश्विन के महीने में दो बार एक रंगीन त्यौहार के लिए इकट्ठा होते हैं। बड़ी संख्या में आगंतुकों को समायोजित करने के लिए कई धर्मशालाएं हैं। इस मंदिर के करीब ही उसके भाई हर्ष भैरवनाथ मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। जीण माताजी मंदिर के पट कभी बंद नहीं होते हैं। ग्रहण में भी माई की आरती सही समय पर होती हैं। जीण माताजी मंदिर रेवसा गांव से 10 किमी पहाड़ी के पास स्थित है। यह घने जंगल से घिरा हुआ है। उसका पूर्ण और वास्तविक नाम जयंतलाल था। इसके निर्माण का वर्ष ज्ञात नहीं है, लेकिन सर्वमण्डपा और खंभे निश्चित रूप से बहुत पुरानी हैं।
