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धर्मक्षेत्र

पितृपक्ष : ब्राह्मण, गाय व देवहती को भोजन कराते समय काले तिल, कुशा रखना न भूलें

पितृपक्ष : ब्राह्मण, गाय व देवहती को भोजन कराते समय  काले तिल, कुशा रखना न भूलें
सीएन, हरिद्वार।
पितृपक्ष शुरू हो गया है। हर कोई इस दौरान अपने पितरों को खुश करना चाहता है। ऐसे में कुछ नियम हैं, जिनके बारे में आपको जान लेना चाहिए। पूजा करते वक्त भी कुछ चीजें ऐसी हैं, जिनकी इस्तेमाल जरूर किया जाना चाहिए। तो कुछ चीजों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। धर्माचार्रो के मुताबिक शास्त्रों में काले तिल और कुशा को बहुत अधिक पवित्र बताया गया है। पितरों का श्राद्ध करते वक्त जब ब्राह्मण, गाय और देवहती को भोजन कराया जाता है तो उसमें काले तिल, कुशा रखने से वह पवित्र हो जाता है। उसके सभी दोष समाप्त हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार कुशा भगवान के बाल और कुशा उनके पसीने से बनी हुई है। इसलिए श्राद्ध पक्षों में इनका इस्तेमाल बेहद जरूरी होता है जिससे पितरों का श्राद्ध पूर्ण हो जाता है। शास्त्रों में पितरों का श्राद्ध करने के दौरान कुछ वस्तुओं को वर्जित बताया गया है। पितरों का श्राद्ध करने से पूर्व दान करने से दोष लगता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पितरों के श्राद्ध के दिन ब्राह्मण, गाय या देवहती को लोहे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए। श्राद्ध पक्षों में लोहे को वर्जित बताया गया है। श्राद्ध पक्ष में अंग-भंग, शराबी और किसी के यहां भोजन नहीं करने वाले ब्राह्मण को ही भोजन करना चाहिए। यदि अंग भंग, शराबी और किसी और किसी के यहां भोजन करके आए ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है तो उसका दोष लगता है। श्राद्ध पक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। जिस ब्राह्मण ने शिखा रखी हो, वह अंग भंग ना हो, शराबी ना हो उसको ही भोजन करना चाहिए। किसी और व्यक्ति के यहां का भोजन करके या भोजन लेकर दान करना भी वर्जित होता हैं। इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए व्यक्ति को अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए।

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