नैनीताल
नैनी झील के लिये जलागम सूखाताल को पुनर्जीवित करना जरूरी : प्रो. कोटलिया
हरिनगर जल स्रोत का नैनी झील को रिचार्ज करने के लिये किया जाय उपयोग, सात मीटर गहरी सूखाताल झील का पुनर्निर्माण करना जरूरी
सीएन, नैनीताल। जीवनदायिनी नैनी झील के रोजाना आधा इंच घटने को लेकर भू वैज्ञानिक प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि नैनी झील को बचाने के लिये उसके जलागमों व मुख्य जलागम सूखाताल को पुनर्जीवित किया जाना अब जरूरी है। उन्होंने बलियानाला के हरिनगर में बह रहे जल स्रोत का भी उपयोग करने पर बल दिया है। कोटलिया का कहना है कि यदि विकसित उच्च तकनीक से इस जल को नैनी झील में पुन वापस लाकर झील को रिचार्ज किया जा सकता है। अगर नैनी झील का जलस्तर इसी तरह घटता रहा तो झील आने वाले दिनों चिंताजनक रूप ले लेगी। उन्होंने कहा कि अब इसमें देर करना नैनीताल के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया इसके साथ चेताया कि है कि बलियानाला क्षेत्र में भी लगातार भू-धसाव हो रहा है। यदि भू-धसाव के चलते बलियानाला क्षेत्र में कोई अस्थाई झील बन गई तो उसके टूटने से भारी तबाही आ सकती है। प्रो. कोटलिया ने नैनी झील का मुख्य रिचार्ज स्रोत सूखाताल है। बीते कुछ वर्षो में सूखाताल झील में मलुवा डालकर उसे पाटने का कार्य कुछ लोगों के द्वारा किया गया जिसमें कुछ सरकारी विभाग भी शामिल हैं। लोगों ने वहां प्लाट भी खरीदे हुए हैं। जिससे पूर्व में सात मीटर ऊंचाई तक भरने वाली सूखाताल झील अब मात्र दो तीन फिट तक ही भर पा रही है। उन्होंने कहा सूखाताल झील को पुनः रिचार्ज करने के लिए करीब सात मीटर गहरी झील का पुनः निर्माण करना होगा। उन्होंने कहा बीते 150 वर्षो में नैनी झील में 130 सेंटीमीटर मोटी सिल्ट जमा हुई है जो नैनी झील के लिए खतरे का कारण है। उन्होंने कहा कि नैनी झील व नैनीताल के प्रति यहां के विभागों समेत यहां के स्थानीय निवासियों की जिम्मेदारी तय करनी होगी। नैनीताल के जलागम क्षेत्रों में निर्माण कार्य कतई बंद होने चाहिये। साथ ही नैनीताल के अन्य जल सोतों का संरक्षण कार्य युद्ध स्तर पर होना चाहिए। नैनी झील को बचाने के लिए अब गोष्ठियों की नही बल्कि जमीनी कार्य करने की जरूरत है।