नैनीताल
नैनीताल के रिक्शे : मार्च के बाद 175 साल पुराना प्रचलन बन जायेगा इतिहास
सैलानी रिक्शा स्टैंड में यात्रियों की लम्बी लाई देख रह जाते हैं दंग, हाई कोर्ट के आदेश के बाद माल रोड से पेडल रिक्शा हो जाएंगे गायब
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। सरोवर नगरी आने वाला सैलानी जब माल रोड के तल्लीताल व मल्लीताल कुमाऊनी शैली में बने हुए रिक्शा स्टैंड पर पहुंचता है तो वहां टिकट लेने के लिए लोगों की लम्बी लाइन देखता ताे वह अचरज में पड़ जाता है। शायद ऐसा देश के किसी शहर में होता हो। यह नैनीताल की 175 साल पुरानी परंपरा है। इस परम्परा में वर्ष 1858 में शामिल हुए हाथ के रिक्शे अब प्रचलन में नही हैं। लेकिन वर्ष 1942 से आज तक शामिल रहने वाले पेडल रिक्शे इस साल मार्च.अप्रैल इतिहास बन कर रह जायेंगे। नैनीताल हाईकोर्ट ने ई रिक्शा की संख्या 10 से बढ़ाकर 50 करने का आदेश दिया है। नैनीताल में अंग्रेज शासकों ने 1858 से हाथ रिक्शा का संचालन शुरू कराया। हाथ रिक्शों की मदद से ब्रिटिश लोग माल रोड से होते हुए पूरे नैनीताल की टेढ़ी मेढ़ी सड़कों का सफर तय करते थे, भारतीय लोग हाथ रिक्शा को अपनी कमर से और हाथों से खींचा करते थे, यदि भार ज्यादा हो तो दो लोग इस हाथ रिक्शा को खींचा करते थे। गवर्नर हाउस और ब्रिटिश अधिकारियों के लिए आरामदायक रिक्शे होते थे, जिन्हें झंपानी भी कहा जाता था। इनमें आरामदायक गद्दी से लेकर रात में उजाले की व्यवस्था के साथ साथ पायदान और बारिश से बचने के लिए छतरियां लगी होती थी।ब्रिटिश समय में हाथ रिक्शा अंग्रेज अधिकारियों का स्टेटस सिंबल होता था, भारतीय लोगों को इसमें बैठने की अनुमति नहीं थी, अंग्रेज़ हाथ रिक्शे में सवारी करने में अपनी शान समझते थे। नैनीताल शहर चर्चा में आने के लगभग एक शताब्दी के बाद सन् 1941 में पेडल रिक्शा की शुरुआत हुई। जिसे तल्लीताल व मल्लीताल के बीच समतल सड़क पर चलाया गया। मल्लीताल से तल्लीताल की लगभग 2 किमी की दूरी का 10 रुपया प्रति सवारी किराया इतना वाजिब की हर आम और खास के जेब में भारी नही पड़ता। संभवतः नैनीताल ही एक ऐसा शहर है, जिसमें बाकायदा रिक्शे के लिए टिकट सिस्टम है और किराया निर्धारित है। यह भी नियम है कि सवार लाईन में लगकर टिकट लेगा। जुलाई 2021 में जब मालरोड पर ई-रिक्शा की शुरुआत हुई तो लोगों में इसके प्रति भारी उत्साह देखा गया। आज एक दर्जन ई.रिक्शा के साथ ही सैकड़ों पेडल रिक्शा माल रोड में दौड़ रहे हैं। लेकिन अब जब उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने मार्च.अप्रैल तक पैडल रिक्शों को बाहर करने व 50 ई.रिक्शा संचालित करने के आदेश के बाद पेडल रिक्शा माल रोड से गायब होकर इतिहास बन जायेंगे।
1858 में हाथ रिक्शा व 1941 में साइकिल रिक्शा की हुई शुरुआत : रावत
नैनीताल। इतिहासकार प्रो. अजय रावत के मुताबिक इसके बाद नैनीताल में 1858 से लेकर करीब 1970 के दशक तक भी नैनीताल में हाथ रिक्शा का चलन था। 1941 में साइकिल रिक्शा की शुरुआत हुई। स्थानीय प्रशासन द्वारा शान की सवारी समझी जाने वाले रिक्शे का किराया दो आना प्रति सवारी तय किया गया। 1966 में इसे चार आना किया गया, जो आज 20 रुपये प्रति रिक्शा पहुंच गया है। अब न्यायालय के आदेशों के बाद साइकिल रिक्शे इतिहास बनने जा रहे है। यह रिक्शे लोगों को इतने पसंद रहे हैं कि 1961 में माल रोड में चार पहिये वाहनों को चलने की अनुमति मिलने के बावजूद लोग इन्हीं रिक्शा में जाना मुनासिब समझते हैं।