नैनीताल
उत्तराखंड की संस्कृति का संरक्षण जरूरी : प्रो. इला साह
उत्तराखंड की संस्कृति का संरक्षण जरूरी : प्रो. इला साह
सीएन, नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर समाजशास्त्र विभाग तथा विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय द्वारा आयोजित व्याख्यान में एसएसजे विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. इला साह ने कुमाऊं की लोक संस्कृति एवं समाज विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति का संरक्षण जरूरी है। उन्होंने कहा की पिछोडा हमारी पहचान है तो डीकरे की पूजा हरेले में होती है। उन्हाेंने कहा कि वर्तमान पीढ़ी की भाषा और मूल्य पश्चिमी सांस्कृतिक से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। लोक संस्कृति के विभिन्न आयाम जैसे झोडा, चांचेरी, भगनोल, डिकारे इत्यादि मुख्य धारा से अलग हो गए हैं। उन्होंने स्थानीय लोगों को स्वयं की सांस्कृतिक और आसन्न खतरों की समझ की आवश्यकता पर जोर दिया। युवाओं को सांस्कृतिक संरक्षण के प्रयासों में भागीदारी पर भी बल दिया गया। इसके बाद प्रो. साह ने समाजशास्त्रीय शोध में कुमाऊंनी संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु आग्रह किया। इस अवसर पर विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय के निदेशक प्रो. ललित तिवारी व प्रो. इंदु पाठक ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन प्रो ज्योति जोशी ने किया। इस अवसर पर डीएसबी परिसर समाजशास्त्र विभाग के छात्र-छात्राएं भी मौजूद रही।
