नैनीताल
जिम कार्बेट के जन्म दिवस पर विशेष : चम्पावत में 436 लोगों का शिकार करने वाली आदमखोर बाघिन को मार डाला
जिम कार्बेट के जन्म दिवस पर विशेष : चम्पावत में 436 लोगों का शिकार करने वाली आदमखोर बाघिन को मार डाला
सीएन, नैनीताल। छोटी विलायत माने जाने वाले नैनीताल में महान शिकारी जेम्स ए जिम कार्बेट का जन्म नैनीताल में 25 जुलाई 1875 को हुआ था। वह आयरिश मूल के भारतीय लेखक व दार्शनिक थे। उन्होंने मानवीय अधिकारों के लिए संघर्ष किया तथा संरक्षित वनों के आंदोलन का भी प्रारंभ किया। जिम कॉर्बेट को भारतीय वन्यजीव संरक्षण के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। वे वन्यजीव संरक्षण के हिमायती थे। वे भारत में नैनीताल, कुमाऊं प्रान्त में जन्मे थे। जिम कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को हुआ और उनकी मृत्यु 19 अप्रैल 1955 को हुई। उन्होंने नैनीताल के पास कालाढूंगी में आवास बनाया था। यह स्थान आज भी यहां आने वाले पर्यटकों को उस व्यक्ति के जीवन का ज्ञान कराता है जो न केवल एक शिकारी था बल्कि एक संरक्षक, चमड़े का कार्य करने वाला, जंगली जानवरों का फ़ोटो खीचने वाला तथा बढ़ई था। उन्होंने उत्तराखंड के गढ़वाल जिले मे अनेक आदमखोर बाघों को मारा था जिनमें रुद्रप्रयाग का आदमखोर तेंदुआ भी शामिल था। चम्पावत में 436 लोगों का शिकार करने वाली आदमखोर बाघिन से भी जिम कार्बेट ने ही लोगों को छुटकारा दिलाया था। 1910 में जिस पहले तेंदुए को जिम ने मारा था उसने 400 लोगों को मौत के घाट उतारा था। जबकि दूसरे तेंदुए ने 126 लोगों को मौत के घाट उतारा था उसे जिम ने 1926 में रुद्रप्रयाग में मारा था। हालांकि दस्तावेजों में कॉर्बेट के नाम तकरीबन 12 शेर और तेंदुए मारने का बात है लेकिन वास्तविकता में उन्होंने इससे कहीं ज्यादा आदमखोर शेरों का शिकार किया था। मगर बाद मे उनके विचार पलटने से और बाघों की घटती संख्या देखकर उन्होंने सिर्फ छाया चित्रकारिता ही अपनाई। जिम की प्रारम्भिक शिक्षा नैनीताल के ओपनिंग स्कूल से की बाद में सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नही होने के कारण पढाई बीच में छोड़कर 18 वर्ष की उम्र में मोकामा घाट बिहार जाकर वहां रेलवे में नौकरी करने लगे। जिम कार्बेट आजीवन अविवाहित रहे। उन्हीं की तरह उनकी बहन ने भी विवाह नहीं किया। दोनों भाई-बहन सदैव साथ-साथ रहे और एक दूसरे का दुख बांटते रहे। जिम कार्बेट एक कुशल शिकारी थे। वे शिकार करनें में यहाँ दक्ष थे, वहीं एक अत्यन्त प्रभावशील लेखक भी थे। शिकार-कथाओं के कुशल लेखकों में जिम कार्बेट का नाम विश्व में अग्रणी है। उनकी माई इण्डिया, मैन ईटर ऑफ कुमाऊं व जंगल लोरी पुस्तक बहुत चर्चित है। उनकी अधिकांश पुस्तकें वन्यजीव संरक्षण, जंगलों में घूमने के अनुभव, जिंदगी के सफलता और वीरता के उदाहरणों पर आधारित थी।