नैनीताल
अंतरिक्ष में आर136ए1 ही है सबसे बड़ा तारा
रमेश चन्द्रा, नैनीताल। असंख्य तारों की अथाह गहराइयों में वैज्ञानिकों ने एक विशाल तारे को खोज निकाला है। खगोल विज्ञान जगत में यह एक बड़ी कामयाबी है। इस तारे का नाम R136a1 है। खोजकर्ताओं के अनुसार टारेंटयुला नीहारिका के केंद्र में यह ब्रह्मांड में अब तक का ज्ञात सबसे बड़ा तारा है।
जेमिनी टेलेस्कोप से मिली कामयाबी
तारा R136a1 ब्रह्मांड में ज्ञात सबसे विशाल तारा है। चिली में जमीन स्थित 8.1-मीटर जेमिनी साउथ टेलीस्कोप का उपयोग करके इसे कैप्चर किया गया है। यह विशाल तारा टारेंटयुला नेबुला के केंद्र में प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है, जो मिल्की वे की उपग्रह आकाशगंगा लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड में है। इसे देखने से संकेत मिलता है कि ज्ञात सबसे बड़े सितारों के द्रव्यमान को कम करके आंका जा सकता है। तारों के रहस्यमय दुनिया में खगोलविदों को इस बात की बहुत कम समझ है कि सबसे विशाल तारे, जो सूर्य के द्रव्यमान के 100 गुना से अधिक बड़े होते हैं, आंखिर वह कैसे बनते हैं। आमतौर पर ये तारे घनी आबादी वाले तारा समूहों के केंद्र में स्थित होते हैं, जिससे इनका निरीक्षण करना आसान नहीं होता है।
तारों के जीवन की पहेली कम दिलचस्प नहीं
खगोलविदों के अनुसार बड़े सितारों में भी तेजी से जीने की क्षमता होती है, जबकि युवा तारों में खत्म होने यानी मरने की प्रवृत्ति होती है। उनके ईंधन भंडार के जलने में केवल कुछ मिलियन वर्ष लगते हैं। हमारा अपना तारा यानी सूर्य 10 अरब से अधिक वर्षों तक जल सकता है। फिलहाल हमारा सूर्य आरामदायक मध्यम आयु का आनंद ले रहा है।
जेमिनी टेलीस्कोप की क्षमता बढ़ाकर मिली कामयाबी
खगोलविदों ने तारा R136a1 के चित्र को लेने के लिए जेमिनी साउथ टेलीस्कोप की क्षमता को बढ़ाया। इसमें आत्धुनिक उपकरण इजात किए गए। तब जाकर यह सफलता मिल पाई। R136a1 को लेकर पहले यह अनुमान था कि वह द्रव्यमान 250 और 320 सौर द्रव्यमान के बीच था, लेकिन नए अवलोकनों से संकेत मिलता है कि तारे की द्रव्यमान सीमा वास्तव में 170 और 230 सौर द्रव्यमान के बीच है। संशोधित अनुमानों के बावजूद, R136a1 ज्ञात सबसे विशाल तारा बना हुआ है।
पूरी सावधानी से किया गया विश्लेषण
खोजकर्ताओं के अनुसार तारे से प्रकाश का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया गया। जिससे इसकी चमक और तापमान का पता चल सका। जिसके चलते इस तारे के द्रव्यमान को प्राप्त करने के लिए सैद्धांतिक भविष्यवाणियों से मेल हो सका। नए अवलोकन R136a1 से उत्पन्न होने वाले प्रकाश को उसके तारकीय साथी के प्रकाश से अलग करने में सक्षम थे। जिससे इसके द्रव्यमान अनुमान में संशोधन हुआ। अनेक सवालों के जवाब तलाशते हुए इस नतीजे तक पहुंचने में कामयाब हो सके।
ये कहना प्रमुख लेखक वेणु एम कलारी का
प्रमुख लेखक, वेणु एम कलारी कहते हैं, “हमारे परिणाम हमें दिखाते हैं कि वर्तमान में हम जिस सबसे विशाल तारे को जानते हैं, वह उतना विशाल नहीं है जितना हमने पहले सोचा था। इससे पता चलता है कि तारकीय द्रव्यमान की ऊपरी सीमा भी पहले की तुलना में छोटी हो सकती है।