नैनीताल
चन्द्रमा पर किसका होगा सबसे बड़ा हिस्सा
चन्द्रमा पर किसका होगा सबसे बड़ा हिस्सा
सीएन, नैनीताल। चन्द्रमा पर पहुंचने की होड़ दुनिया के देशों में जबरदस्त होड़ है। अमेरिका, रूस, जापान, चाइना, यूरोपीय देशों समेत भारत भी मून मिशन में शामिल है। अब सवाल उठता है कि चंद्र भूमि पर सबसे बड़े हिस्सेदारी किस देश की होगी। यह सवाल हर किसके मन में उठना लाजिमी है। मगर जान लीजिए चंद्रमा पर किसी भी देश का एकाधिकार नहीं हो सकता। क्योंकि चन्द्रमा प्लेनेट कॉमन हेरिटेज भूमि है, जो मानव के लिए है। इसका कोई भी निजी प्रयोग नहीं कर सकता है । अगर कोई चंद्रमा की भूमि को बेचता तो इसकी कोई आधिकारिक मान्यता नहीं होगी। चांद पर जमीन बेचने वालों में एक नाम इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री नामक वेबसाइट का नाम है। अब यह कितना सही व गलत है, इस बारे में पुष्टि हम नहीं कर सकते। बहरहाल जो जानकारी निकरकर सामने आई है उसके मुताबिक चंद्र भूमि का कोई भी निजी इस्तेमाल के लिए प्रयोग नहीं कर सकता है। यह बता दें कि आउटर स्पेश ट्रीटी औपचारिक रूप से चंद्रमा और अन्य आकाशीय निकायों सहित बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में देशों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली सिद्धांतों पर एक संधि है। इधर कानूनी जानकारों का कहना है कि चांद पर जमीन खरीदना भारत में गैरकानूनी है, क्योंकि इसने आउटर स्पेश ट्रीटी में भारत भी शामिल है। कई वेब साइट समेत कुछ अन्य जानकारों से यह जानकारी जुटाई गई है। जिसकी सीएन पुष्टि नहीं करता है।
कितनी और कैसी भूमि है चंद्रमा की
इसकी परिधि 10921 किमी है। विषुवत त्रिज्या 1738.14 किमी है। ध्रुवीय त्रिज्या 1735.97 किमी है। पृथ्वी के मुकाबले यह बहुत छोटा ग्रह है। जिस पर सभी देश जाना चाहते हैं और इसकी अधिक से अधिक अनुभव लेना चाहते है। यह रेतीली जगह है। इसकी रेत सूर्य की किरणें पड़ने पर इसे पृथ्वी से देखने पर सुंदर बनाती है। मगर वास्तविकता कुछ और ही है।
नासा का आर्टेमिस 1 मून मिशन अब शनिवार को लॉन्च होगा
अब शनिवार को इसके लॉन्च की कोशिश में मिशन से जुड़े इंजीनियर व विज्ञानी जूटे हुए हैं। रॉकेट के इंजन में खामी के कारण मिशन को तीन दिन आगे बढ़ाना पड़ा है।
2.80 लाख किमी का सफर तय करना है आर्टेमिस 1 को
बियाबान अंतरिक्ष में न कोई सहारा न कोई ठिकाना होगा। इसलिए हर तैयारी मुकम्मल होना बेहद जरूरी है। भले ही यह परीक्षण की उड़ान हो, लेकिन इस महत्वाकांक्षी मिशन की आगे की राह तय करेगी। नासा के अनुसार किसी भी तरह की खामी की कोई गुंजाइश नहीं है। इसलिए हर तैयारी ठोक बजाकर की जा रही है। यह उड़ान कुल छह सप्ताह की होगी। जिसमें तीन डमी साथ होंगी। बहरहाल मौसम का अनुकूल होना भी बहुत जरूरी है, जो लॉन्चिंग में अड़चन पैदा कर सकता है। शनिवार का प्रक्षेपण फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में स्थानीय समयानुसार 14:17 (18:17 GMT; 19:17 BST) लॉन्च किया जाएगा। उस दिन का मौसम का मिजाज 50-50 रहने का पूर्वानुमान है। एसएलएस को बारिश तो नहीं उड़ाया सकेगा।
मंगल में घर बसाने की तैयारी मून के जरिए
चन्द्रमा व मंगल दो ऐसे ग्रह हैं, जहा मानव का धरती के बाद दूसरा बसेरा हो सकता है। इस संभावना के साथ दुनिया के खगोलविद पिछले 50 सालों से निरंतर प्रयासरत हैं और इस दिशा में दर्जनों मिशन अभी तक चलाए गए हैं। जिनमें काफी हद सफलताएं मिली हैं। सफलताओं ने वाज्ञानिकों के हौंसले बुलंद किए हैं, अब नासा से इस दिशा में ऊंची छलांग लगाने जा रहा है। यह खगोल विज्ञान की उन्नति की नई उड़ान होगी।
परीक्षण उड़ान 29 अगस्त को भी टल गई थी।
2025 में होगी चन्द्रमा पर मानव लैंडिंग
परीक्षण उड़ान महत्वपूर्ण उड़ान है, जो नासा के निर्धारित दो साल के लक्ष्य को मंजिल तक पहुंचाएगा। जिसके तहत 2025 में आर्मेटिस lll मिशन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ चंद्र-परिक्रमा उड़ान व मानव चालक दल द्वारा चंद्र लैंडिंग करेगा। यह वास्तव में बड़ी महत्वाकांक्षी योजना है।
श्रोत: नासा, विकिपीडिया व कई अन्य साइट