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पर्यावरण

बिनसर के जंगल की खुशबू लेना अमृतपान करने जैसा है आजकल
जयमित्र सिंह बिष्ट, अल्मोड़ा। एक जंगल को अपने पूरे शबाब में देखना बिल्कुल ही अलग अनुभव है। बिनसर मेरे प्रिय जंगलों में से एक है शायद इसलिए भी की इसे पिछले 20 से ज्यादा सालों से देखता और डॉक्यूमेंट करता चला आ रहा हूं फिर वो चाहे बुरांश से भरा बिनसर हो या फिर बर्फ से ढका बिनसर हो पतझड़ का रंगीन बिनसर हो या फिर जाड़ों में हिमालय के साथ रंग भरता बिनसर हो। पर इन दिनों बरसात के बाद बिनसर का जंगल वाकई पूरे शबाब पर है। मानसून की बारिश के बाद धुला.धुला और हरा.भरा बिनसर आपको मंत्रमुग्ध सा कर देगा। आजकल बिनसर के जंगल की खुशबू लेना अमृतपान करने जैसा हो रहा है। क्या खुशबू है आजकल बिनसर के इन घने बांज और बुरांस के जंगल की। इसके आगे और इससे बढ़िया ऑक्सीजन की कल्पना बेमानी है। वैसे तो बिनसर में कई जंगल ट्रेल हैं जो मैं आपको बता सकता हूं पर आज जिस ट्रेल के फोटोग्राफ मैंने लिए हैं उसकी बात करते हैं। इस खुबसूरत ट्रेल का नाम है जीरो प्वाइंट या फिर झंडीधार जंगल ट्रेल। जीरो प्वाइंट ज्यादा पॉपुलर नाम है इसका और इसे झंडीधार भी कहते हैं। झंडीधार इसलिए क्योंकि इस पर चलते.चलते आप इस पहाड़ के एकदम मुहाने यानि धार तक आ जाते हैं और झंडी इसलिए की किसी जमाने में यहां पर दिशा या फिर स्थान चिन्ह के तौर पर एक झंडा या फिर झंडी फहराई जाती थी। इस साल की पूरी बारिश पीने के बाद इस ट्रेल पर चलकर बिनसर के जंगल को देखना अलौकिक है, अदभुत है। बांज और साल के सैकड़ों पेड़ों पर हरी.हरी मॉस किसी मखमली लिबास सा आभास दिलाती हैं। जगह.जगह जंगल से झांक रहे वाइल्ड फर्न्न आपका बांह फैलाकार स्वागत करते हैं। बांज के विशाल पेड़ों में मॉस पर एक अलग ही किस्म का दृश्य दिखता है। इसपर असंख्य वाइल्ड लीफ उग आईं हैं जो पूरे ओक ट्री को किसी इंसान सा स्वरूप देती नज़र आती है। ऐसा लगता है कि बिनसर के पेड़ों में किसी ने जान फूंक दी हो और ये आपको खड़े होकर निहार रहे हों मुस्कुरा रहे हों। बिनसर एक अलग संसार है खासकर तब जब आप शहरों की प्रदूषित होती जा रही। दुनिया से हटकर सुकून की तलाश में हों तब यकीन मानिए आपके लिए बिनसर का जंगल बांह फैलाए हमेशा आपके स्वागत को तैयार है। अभी देखिए मानसून में बिनसर के जंगल की बहार को इन तस्वीरों में जो मैंने बीते रविवार को ली हैं।

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