विधि
बच्चों का जीवन कैसे सुरक्षित हो इस पर सभी को गम्भीरतापूर्वक ध्यान देने की जरूरत : जस्टिस पांधी
सीएन, भवाली /नैनीताल। उत्तराखण्ड न्यायिक एवं विधिक अकादमी, भवाली में कानून के साथ संघर्ष में बच्चों पर स्तरीय परामर्श (सीआईसीएल) रोकथाम, पुनर्स्थापनात्मक न्याय, विचलन और हिरासत के विकल्प के विषय पर (रविवार) को उजाला भवाली में अकादमी स्थित ऑडिटोरियम में एक दिवसीय कॉन्फ्रेन्स का आयोजन किया गया जिसमे मउत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति एवं मन्यायामूर्तिगण, अपर मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन,पुलिस महानिदेशक,उत्तराखण्ड, सहित राज्य के विभिन्न जिलों के जिला न्यायाधीशगण एवं अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीगण तथा अन्य विभागीय अधिकारियों सहित लगभग 120 से अधिक अधिकारीगण ने प्रतिभाग किया कॉन्फ्रेन्स के दौरान माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने अपने सम्बोधन में किशोर न्याय समिति, उच्च न्यायालय, नैनीताल एवं महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त पहल की सराहना कर बधाई दी। न्यायमूर्ति ने कहा कि बच्चे निर्दोष होते है, तथा कच्ची मिट्टी की तरह होते है, और सामाजिक परिस्थितियों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कहा बच्चों का जीवन कैसे सुरक्षित हो इस पर सभी को गम्भीरतापूर्वक ध्यान देने की जरूरत है बच्चो के लालन पालन, शिक्षा,खानपान एव अनुकूलित वातावरण का एक विशेष महत्व होता है जो बच्चे को बुरा और भले की परख कराता है इसलिए अभिवाको को अपने बच्चो का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है । इस अवसर पर परामर्श कार्यशाला के किशोर न्याय समिति, उच्च न्यायालय के सदस्य न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा, एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने भी अपने विचार रखे। कहा बाल अपराधों एवं बाल न्यायालय से जुड़े सभी संस्थाओं हित धारकों को सम्वेदन शीलता का परिचय देना चाहिए। और अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना चाहिए। कार्यशाला में हक संस्था की एक्सक्यूटिव डायरेक्टर भारती अली, रेनू डोंडियाल एवं बचपन बचाओ आन्दोलन की एक्सक्यूटिव डायरेक्टर सम्पूर्ण बेहूरा द्वारा विषय विशेषज्ञों के रूप में विभिन्न सत्रों में प्रतिभाग कर महत्पूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम को 4 सत्रों में बांटा गया। बाल अपराध की रोकथाम। परिवर्तन, बच्चे का निरूद्ध करने के विकल्प व पुलिस की भूमिका, निष्पक्ष सुनवायी का अधिकार, बाल हितेषी प्रक्रिया। पुर्नवास एवं पुर्नस्थापन की प्रद्धतियां इन विषयों पर चर्चा करने के लिए प्रतिभागियों को 4 समूह में बांटा गया था। प्रत्येक समूह ने इन विषयों पर चर्चा कर वास्तविक स्थितियों, चुनौतियों एवं समाधान जैसी बिन्दुओं के आधार पर अपना प्रस्तुतिकरण दिया।। इस दौरान कार्यक्रम में अनुज कुमार संगल महानिबन्धक, उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल हरीश कुमार गोयल, निदेशक, उत्तराखण्ड न्यायिक एवं विधिक अकादमी, भवाली प्रमुख सचि न्याय, नरेन्द्र दत्त, हरि चन्द्र सेमवाल, सचिव, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग रवि नाथ रमन, सचिव, शिक्षा, ए.डी.जे. लॉ एण्ड आर्डर ए.पी. अंशूमन, चेयरपर्सन एस. सी.पी.सी.आर. गीता खन्ना, डॉ पी.वी. के प्रसाद, ए.डी.जी.. डायरेक्टर प्रष्टकयूसन, अल्मोड़ा बागेश्वर, नैनीताल, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, पौड़ी गढ़वाल एवं हरिद्वार के जिला न्यायाधीशों, पुलिस विभाग एवं शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों तथा उच्च न्यायालय के सभी निबन्धक उपस्थित रहे इसके अतिरिक्त पोक्सो कोर्ट के न्यायाधीशों एवं जूविनाईल जस्टीस बोर्ड के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेटों, महिला कल्याण विभाग के मुख्य परिविक्षा अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारियों सहित 120 से अधिक प्रतिभागीयों ने भाग लिया। कार्यक्रम में जिला बाल कल्याण समिति तथा जूविनाईल जस्टिस बोर्ड के सदस्यों ने भी भाग लिया। इसके अतिरिक्त कई हितधारकों ने विडियों कॉन्फ्रेंस के माध्यम से परामर्श कार्यशाला में भाग लिया। कार्यशाला का शुभारम्भ किशोर न्याय समिति, उच्च न्यायालय, नैनीताल चेयरपर्सन न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने सभी प्रतिभागीगणों एवं विषय विशेषज्ञों का स्वागत किया। कार्यशाला की रूपरेखा एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला।