विधि
ज्ञानवापी में एएसआई के सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई तक लगाई रोक
ज्ञानवापी में एएसआई के सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई तक लगाई रोक
सीएन, नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की आपत्ति पर सुनवाई की। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि पुरातत्व सर्वेक्षण को सुनवाई के मद्देनजर कम से कम एक दिन रोकने की मांग की गई थी, जिसे दरकिनार किया गया। मुस्लिम पक्ष ने एएसआई सर्वे को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ बताकर इस पर रोक लगाने की मांग की है। हालांकि लंबी सुनवाई के बाद मुस्लिम पक्ष से मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने को कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई तक सर्वे पर रोक लगा दी है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई तोड़फोड़ नहीं की गई है और ना ही इसकी योजना है। अभी सिर्फ सर्वे में मस्जिद की नपाई का काम किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने इससे पहले कहा, हमको निर्देश दे सकते हैं कि फिलहाल कोई खुदाई न हो ज्ञानवापी मामले में आगे सुनवाई की जा सकती है। इससे पहले मुस्लिम पक्ष ने मामला मुख्य न्यायाधीश की बेंच के सामने रखा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मामला पहले से ही 28 जुलाई की सुनवाई के सूचीबद्ध है। मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा, हमें उससे दिक्कत नहीं है। लेकिन जिला जज ने सर्वे का आदेश दे दिया है, इसलिए जल्द सुनवाई की मांग के साथ हम सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया, आप हाई कोर्ट क्यों नहीं जाते। मुख्य न्यायाधीश ने सलाह दी कि आप हाईकोर्ट से सर्वे पर रोक की मांग करें। मुस्लिम पक्ष ने दलील रखी कि ये सर्वे आपके पुराने आदेश का उल्लंघन है और हम फिलहाल रोक चाहते हैं। हिंदू पक्ष ने सर्वे पर रोक की मुस्लिम पक्ष की मांग का विरोध किया। हिंदू पक्ष ने कहा, जो सर्वे हो रहा है, उसमे सील किया हुआ एरिया शामिल नहीं है। हिंदू पक्ष ने तर्क दिया कि एएसआई सर्वे की याचिका सुनवाई के लिस्ट नहीं है, लिहाजा सर्वे पर रोक का औचित्य नहीं है। मुस्लिम पक्ष के वकील इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2021 में दिए आदेश का हवाला दिया। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि तब हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वे से इंकार कर दिया था तो फिर जिला जज कैसे ये आदेश पारित कर सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश ने मुस्लिम पक्ष से कहा, आप चाहें तो हम 2 हफ्ते का वक़्त दे सकते हैं ताकि आप हाईकोर्ट का रुख कर सकें। इस दरम्यान वहां खुदाई जैसा कोई काम नहीं होगा। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, बेहतर होगा कि हाईकोर्ट ही इस केस को मेरिट पर सुन ले। मुख्य न्यायाधीश-अगर एएसआई सिर्फ वहां मापना, फोटोग्राफी जैसा ही काम कर रहा है तो उस जगह का स्वरूप कैसे बदल सकता है।