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सुप्रीम कोर्ट में कुर्सियां ऊपर-नीचे क्यों? जब जस्टिस चंद्रचूड़ से पूछा गया सवाल, अब सारी बराबर हैं

सुप्रीम कोर्ट में कुर्सियां ऊपर-नीचे क्यों? जब जस्टिस चंद्रचूड़ से पूछा गया सवाल, अब सारी बराबर हैं
सीएन, नईदिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने पारदर्शिता के लिहाज से सितंबर 2022 में संविधान पीठों की कार्यवाही का लाइव टेलीकास्ट शुरू किया था। उस वक्त भारत के चीफ जस्टिस उदय यू ललित हुआ करते थे। इस बीच, कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई लोगों ने लाइव देखी। वकीलों की दलीलें सुनीं, जज कैसे काउंटर सवाल करते हैं, कैसे सब कुछ रिकॉर्ड में दर्ज होता है, यह जाना। कुछ लोगों को सुप्रीम कोर्ट की बेंच में एक चीज खटकी। किसी जज की कुर्सी नीचे थी तो किसी की ऊपर। बात जजों की हाइट की न थी, यह किस्सा तो कुर्सी का निकला। दरअसल, जज अपनी जरूरत और आराम के हिसाब से कुर्सियां ऊपर-नीचे करवाते हैं। यह बात ध्यान में किसी के आई ही नहीं। तब तक, जब तक कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने यूनाइटेड किंगडम की यात्रा नहीं की। इस साल मई-जून की छुट्टियों में सीजेआई यूनाइटेड किंगडम के एक इवेंट में शामिल हुए। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वहां सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही लाइव देखने वाले किसी व्यक्ति ने उनसे यही बात पूछ ली। ‘क्‍या बात बता सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में कुर्सियों की हाइट अलग-अलग क्यों है?’ सीजेआई बात समझ गए। वापस आए और स्टाफ से मशवरा किया। सीजेआई को उनके स्टाफ ने बताया कि अलग-अलग जजों ने अपने समय में कुर्सियों में बदलाव कराए। लंबे समय तक बैठने की वजह से पीठ में समस्या हो जाती है। छुट्टियों के दौरान ही, सीजेआई चंद्रचूड़ ने कोर्ट अधिकारियों से कहा कि कुर्सियों की हाइट कम से कम एक बराबर रखें ताकि देखने में अच्छा लगे। किसी जज को जरूरत है तो कुर्सी की बॉडी को कस्टमाइज किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट अधिकारियों ने तेजी दिखाई। जब तक छुट्टियां खत्म होतीं और अदालत फिर से खुलती, सब कुर्सियां एक हाइट पर की जा चुकी थीं। कंधे और पीठ को सपोर्ट भी बेहतर कर दिया गया था। द इंडियन एक्‍सप्रेस ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के अधिकारियों के हवाले से लिखा कि कुर्सियां कई दशक पुरानी थीं। इन कुर्सियों का मेन फ्रेम कभी नहीं बदला गया क्योंकि अदालत अपना परंपरागत डिजाइन बरकरार रखना चाहती है। वक्त-वक्त पर जजों की जरूरत और पसंद के हिसाब से कुर्सियों बैक सपोर्ट बदला गया। रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व सीजेआई एनवी रमना ने अपनी कुर्सी ऑर्थोपेडिक जरूरतों के चलते एडजस्ट कराई थी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने भी कुछ साल पहले लोअर बैक में प्रॉब्लम होने पर कुर्सी में थोड़ा बदलाव कराया था। जजों को कई घंटों तक कुर्सी पर बैठे रहना होता है, इसके बावजूद उनकी कुर्सियों में आधुनिक फीचर्स नहीं हैं।

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