राष्ट्रीय
पीर पंजाल के गुफाओं में छिपे आतंकियों पर ड्रोन से गिराए जा रहे बम, बदला लेने उतरी सेना
पीर पंजाल के गुफाओं में छिपे आतंकियों पर ड्रोन से गिराए जा रहे बम, बदला लेने उतरी सेना
सीएन, अनंतनाग। देश के दुश्मनों पर जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आखिरी प्रहार जारी है। अनंतनाग के कोकरनाग के पहाड़ पर गुफाओं में छिपे आतंकियों पर ड्रोन से बम बरसाए गए हैं। आतंकी जिन ठिकानों में छिपे हैं, उन्हें उड़ाया जा रहा है। बस किसी भी वक्त ये खबर आ सकती है कि सेना ने तीन अफसरों और एक जवान की शहादत का बदला ले लिया है। यहां पर पहाड़ पर गुफाओं में लश्कर का कमांडर उजैर अहमद खान और उसका साथी छिपा है। यह ऑपरेशन करीब 60 घंटे से चल रहा है। 13 सितंबर को अनंतनाग जिले में आतंकवादी हमला हुआ। इसमें आर्मी के कर्नल और मेजर रैंक के दो अफसर और पुलिस के डीएसपी रैंक के एक अफसर वीरगति को प्राप्त हुए। ये हमला कोकेरनाग इलाके में हुआ था। जो पीर पंजाल पर्वतमाला के दक्षिण में पड़ता है। ये पर्वतमाला कोई आम जगह नहीं है, आतंकियों की पनाहगाह रही है। सेना के इस पूरे ऑपरेशन में ड्रोन की भी मदद ली जा रही है। कल से इस ऑपरेशन में हेरोन ड्रोन को लगाया गया है जो हथियारों से लैस हैं। कुछ देर पहले ड्रोन मंडराते नजर आए हैं। एक तरफ सेना आतंकियों के ठिकाने पर गोले दाग रही थी उसी वक्त ड्रोन वहां पर उड़ रहे थे और सेना को आतंकियों के ठिकाने की जानकारी दे रहे थे। पीर पंजाल पर्वतमाला, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, भारत के जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश राज्य तक फैली हुई है। कश्मीर का गुलमर्ग और हिमाचल प्रदेश के कुल्लु लाहौल और स्पीति ज़िले भी इसी श्रृंखला में आते हैं। इस रेंज को लघु हिमालय भी कहा जाता है। रावी, चेनाब और झेलम जैसी नदियां भी इसी इलाके में बहती हैं। पीर पंजाल इलाके का एक और बड़ा महत्व है। माना जाता है, जो भी इन पहाड़ियों को कंट्रोल कर लेता है, उसके पास पूरी कश्मीर घाटी का एक्सेस होता है। पीर पंजाल के पहाड़ 13000 फ़ीट ऊंचे हैंण् इस इलाके में खूब पानी बरसता है। ये दो तरीके से आता है, पहला सर्दियों की बर्फ़बारी से और दूसरा गर्मियों की बारिश से। इसके अलावा इस इलाके में पेड़ों की कतार के इर्द.गिर्द चरागाह का बड़ा इलाका है।