उत्तराखण्ड
नैनीताल की टूर एजेंसी वाईटीडीओ करायेगी चारधाम यात्रा
इस वर्ष 31 मई व 14 जून से होगी 12 दिवसीय यात्रा, बुकिंग शुरू
सीएन, नैनीताल। नैनीताल की प्रसिद्ध वाईटीडीओ टूर एजेंसी चारधाम यात्रा करायेगी। यह या़त्रा दो चरणों में करवाई जा रही है। जो 12 दिवसीय होगी। पहली यात्रा 31 मई से 11 जून तक होगी। जबकि दूसरी यात्रा 14 जून से 25 जून तक होगी। चार धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ के दर्शन व पूजन के बाद यात्री वापसी करेंगे। वाईटीडीओ टूर एजेंसी के संचालक विजय मोहन सिंह खाती ने बताया कि यात्रा के पहले दिन यात्री प्रातः आठ बजे हल्द्वानी से हरिद्वार के लिए प्रस्थान करेंगे। रात्रि विश्राम हरिद्वार में करेंगे। दूसरे दिन छह बजे हरिद्वार से बड़कोट को प्रस्थान करेंगे। रात्रि विश्राम बड़कोट में होगा। यात्रा के तीसरे दिन यात्री बड़कोट से प्रस्थान करेंगे। जानकीचट्टी तक बस से यात्रा होगी। उसके बाद यात्री पांच किमी की पैदल या डोली द्वारा यमुनोत्री धाम पहुंचेंगे। यमुनोत्री धाम दर्शन के बाद बड़कोट वापसी व रात्रि विश्राम होगा। चैथे दिन बड़कोट से उत्तरकाशी को प्रस्थान करेंगे। रात्रि विश्राम उत्तरकाशी में होगा। पांचवें दिन उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम को प्रस्थान होगा। यात्री गंगा स्नान, गंगोत्री धाम दर्शन कर वापस रात्रि विश्राम को उत्तरकाशी पहुंचेगे। इसके बाद पांचवें दिन यात्री गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए पैदल, घोड़ा या डोली से 18 किमी केदारनाथ पहुंचेंगे। सांयकाल को केदारनाथ दर्शन करेंगे। रात्रि विश्राम केदारनाथ में करेंगे। छठे दिन यात्री केदारनाथ से सीतापुर फाटा पहुंचेंगे और रात्रि विश्राम सीतापुर फाटा में करेंगे। सातवें दिन फाटा से बद्रीनाथ धाम की यात्रा शुरू होगी। सीतापुर फाटा से यात्री पीपलकोटी पहुंच रात्रि विश्राम करेंगे। आठवें दिन यात्री बद्रीनाथ धाम के दर्शन करेंगे। इसके बाद यात्री भारत के अंतिम गांव माणा, सरस्वती नदी, भीम पुल, व्यास व गणेश गुफा के दर्शन कर रात्रि विश्राम को पीपलकोटी पहुंचेंगे। नवें दिन यात्री कौसानी के लिए प्रस्थान करेंगे। रात्रि विश्राम कौसानी में होगा। अंतिम दिन यात्री कौसानी से वापस हल्द्वानी पहुंचेंगे। इच्छुक यात्री अधिक जानकारी के लिए फोन 05942-235557 या मो. 9412085088 में सम्पर्क कर सकते है। संचालक विजय मोहन सिंह खाती ने बताया कि इस यात्रा का किराया मात्र 25 हजार प्रति यात्री रखा गया है। बताया कि खराब मौसम होने पर यात्रा में परिवर्तन किया जा सकता है। यात्रियों की आवास व्यवस्था होटलों आदि में की जायेगी।
चारधाम यात्रा का धार्मिक महत्व
यह पवित्र स्थान उत्तराखंड में हिमालय की बुलंद चोटियों के बीच विद्यमान हैं। हिंदू धर्म में, मोक्ष प्राप्त करना ही जीवन का गंतव्य माना गया गया है। और ऐसा मानते हैं कि चार धाम यात्रा आपको इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक कदम और करीब ले जाती है। चारधाम यात्रा का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। यह माना जाता रहा है कि प्रत्येक हिंदू को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस तीर्थ यात्रा पर जाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि चारधाम यात्रा जीवन भर के पापों को धो कर मोक्ष के द्वार खोलती है। और ऐसा कहा जाता है कि जब कोई तीर्थयात्री चारधाम यात्रा समाप्त करता है, तो वह मन की पूर्ण शांति प्राप्त करता है। चारधाम यात्रा का हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है। चारधाम यात्रा को एक धार्मिक यात्रा माना गया जिसमे हिन्दू धर्म के अनुयायी उत्तराखंड में बसे हुए चार तीर्थ स्थानों में दर्शनों हेतु जाते हैं। इन सभी धामों में हर साल चारधाम यात्रा केवल गर्मियों के महीनों में होती और शीतकाल में यहाँ सभी धामों के कपाट बंद रहते हैं। विश्व भर से लाखों श्रद्धालु चारों धामों के दर्शनों के लिए आते हैं | ये पवित्र स्थल उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित हैं। परंपरागत रूप से, यात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर की जाती है। इस प्रकार, यह यमुनोत्री से शुरू होती है, फिर गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ में समाप्त होती है। चारधाम यात्रा की शुरुआत 8–9 वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा बद्रीनाथ की खोज से बताई जाती है। इससे पहले भी यह एक धार्मिक स्थान था और श्रद्धालु यहाँ आते थे। परन्तु आदिगुरु शंकराचार्य की धर्म प्रसार यात्रा के दौरान बद्रीनाथ और अन्य धामों का बहुत अच्छा रूपांतरण हुआ और हर जगह सुन्दर मंदिरों का निर्माण हुआ। मंदिरों में दूर दूर से श्रद्धालु दर्शन करने पहुँचते तो थे पर इनकी संख्या काफी काम थी। भारत की आज़ादी के बाद धार्मिक पर्यटन बढ़ा और श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी। बाद में परिवहन व्यवस्था में सुधार और सुविधाओं में विस्तार से श्रद्धालुओं की संख्या आज लाखों में है।