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नासा ने खोज निकाला जीवन योग्य होने की संभावना वाला ग्रह

सीएन, नईदिल्ली। धरती के समतुल्य एक दूसरे प्लेनेट की तलाश में पृथ्वी के वैज्ञानिक पिछले करीब चार दशक से ब्रह्माण्ड की खाक तलाश रहे हैं। अब हाल ही में नासा ने वैज्ञानिकों कुछ हद तक सफलता हाथ लगी है। नासा के वैज्ञानिकों ने धरती से 37 प्रकाश वर्ष दूर एक ऐसा ग्रह खोज निकाला है। जिसे जीवन योग्य होने की संभावना जताई जा रही है। नासा ने इस प्लेनेट को सुपर-अर्थ कहा है।इस प्लेनेट का एक वर्ष मात्र 10.8 दिन का हैरान करने वाली बात है कि यह सुपर अर्थ सिर्फ 10.8 दिन में अपने तारे का एक चक्कर पूरा कर लेता है। यानी इस ग्रह का एक वर्ष मात्र लगभग 11 दिन का होगा। यह  सुपर-अर्थ द्रब्यमान की तुलना में  हमारे ग्रह  का चार गुना है । जापान की दूरबीन सुबारू ने इस धरती को खोजा है। जिसका श्रेय शोधकर्ता डा हेरेरा मार्टिन को जाता है।अर्थ  से 37 प्रकाश वर्ष दूर है सूपर अर्थयह ग्रह हमसे बहुत दूर नही है। जिस कारण इस ग्रह मानव का अगला घर होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है। जिस कारण विज्ञानिकों में उत्साह बना हुआ है। नासा के मुताबिक सुपर अर्थ हमसे 37 प्रकाश वर्ष दूर है। रॉस 508 बी नामक बौना तारे का ग्रह सुपर अर्थ इस प्लेनेट की खोज नई अवरक्त निगरानी तकनीक से संभव हो सकी। यह रॉस 508 नामक एक बौने तारे का ग्रह है और पृथ्वी के समान उसकी परिक्रमा करता है। खास बात यह है कि सुपर अर्थ का रंग लाल है।नजदीक होने के कारण आसान होगा आगे का शोध सुपर-अर्थ  हमारे ग्रह से काफी नजदीक है । जिस कारण स्पेस डॉट कॉम का मानना है कि वायुमंडलीय जांच के लिए उपयुक्त होगा और जीवन कम द्रव्यमान वाले सितारों के आसपास मौजूद हो सकता है। हालाकि जापान में खगोलविदों ने इस साल की शुरुआत में ही इसे देख लिया था। शोध कर्ताओं का मानना है कि इस ग्रह की सतह पर पानी के निर्माण के लिए अनुकूल तापमान हो सकता है। जिस कारण इसमें जीवन की संभावना अधिक जताई जा रही है।इस तरह हुई सुपर अर्थ की खोज शोधकर्ताओं ने हवाई में जापान के राष्ट्रीय खगोलीय वेधशाला (एनएओजे) के सुबारू टेलीस्कोप का उपयोग करके एक मंद तारे के पास ग्रह को देखा। चूंकि तारा सूर्य से आकार में छोटा है, इसलिए रॉस 508 बी हर 10.8 दिनों में इसकी परिक्रमा करता है। इसके अलावा, रॉस 508 काफी मंद है, इस प्रकार, सुपर अर्थ पृथ्वी के गवाहों के सौर विकिरण का 1.4 गुना अनुभव करता है। रास  508 सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 18% है जो इसे एक परिक्रमा करने वाले विश्व के साथ सबसे कमजोर और सबसे छोटा तारा बनाता है।अभी पूरी नहीं हुई जीवन योग्य ग्रह की तलाशइसमें जरा भी संदेह नहीं कि पृथ्वी पर निरंतर बड़ती जनसंख्या के दबाव ने किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश करना मजबूरी हो गई है। जीवनयोग्य ग्रह की तलाश में नासा समेत दुनिया की स्पेस एजेंसियां लंबे समय से खोज कर रहे हैं। नासा के कैप्लर मिशन ने हजारों ग्रहों को खोज निकाला है। जिनमें कई जीवन योग्य माने जाते हैं। इसके बावजूद अभी तक पूर्णतः पृथ्वी के समान ग्रह अभी तक नहीं मिल पाया है और ना ही कोई ऐसा ग्रह मिल पाया है, जिसमें कोई जीवन हो।

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