राष्ट्रीय
भारत में नोहकलिकाइ दुनिया का चौथा सबसे ऊंचा झरना
‘नोह क लिकाई’ नाम की महिला की दुखद कहानी को बयां करता है वाटरफॉल
सीएन, शिलांग। नोहकलिकाइ दुनिया का चौथा सबसे ऊंचा झरना है. यह झरना 340 मीटर की ऊंचाई से गिरता है और प्रकृति के अद्भुत दृश्य को प्रस्तुत करता है. यह झरना मेघालय में चेरापूंजी के पास पूर्वी खासी हिल्स में स्थित है. यह झरना देश का सबसे खूबसूरत और भव्य झरनों में से एक है. यह वाटरफॉल देखने में बेहद आकर्षक है जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इस सुंदर झरने को मेघालय का गौरव भी कहा जाता है. यह झरना एक विशाल चट्टान से जमीन पर गिरते हुए बेहद अद्भुत दिखता है और इसकी खूबसूरती पर्यटकों के मन को रम लेती है. बेहद खूबसूरत नोहकलिकाइ झरने के नाम से एक दुखत कहानी जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि इस जलप्रपात का नाम ‘नोह का लिकाई’ नाम की महिला की दुखद कहानी को बयां करता है. नोह का लिकाई नाम की महिला ने अपने पति की मौत के बाद एक दूसरे पुरुष से शादी की थी. अपने बच्चे के लालन-पालन के लिए नोह का लिकाई को कुली तक बनना पड़ा. अपनी बेटी की परवरिश में ज्यादातर वक्त देने के कारण वह अपने पति को उस तरह से प्यार नहीं दे पाती थी. जिस वजह से उसके पति के मन में ईष्या का भाव जाग्रत हो गया. वह अपनी ही बेटी से घृणा करने लगा. जब एक महिला काम कर रही थी उसके दूसरे पति ने अपनी बेटी को मार डाला. इतना ही नहीं उसके पति ने अपनी बेटी को मारकर उसका मांस पकाकर अपनी पत्नी को परोस दिया. खाना खाने के बाद महिला अपनी बेटी को देखने के लिए बाहर गई तो उसको सुपारी की टोकरी में बेटी की उंगुलियां मिली. जिसे देखकर वह काफी दुखी हो गई और उसी पहाड़ की चोटी से कूद गई जहां झरना बहता है. इसी वजह से इस झरने का नाम का ‘नोह क लिकाई’ पड़ा.