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200 रुपये का नोट छापना है सबसे महंगा, रिजर्व बैंक ने बताया अपना खर्च

बढ़ती महंगाई की वजह से नोटों की छपाई लागत में भी लगातार हो रही बढ़ोतरी
सीएन, नई दिल्‍ली।
रोजाना बढ़ती महंगाई से जिस तरह हमारे पैसों का खर्च बढ़ता जा रहा है, उसी तरह आरबीआई को भी नोट छापने पर ज्‍यादा खर्च करना पड़ रहा। सूचना के अधिकार के तहत मांगी एक जानकारी में रिजर्व बैंक ने बताया है कि उसकी सबसे ज्‍यादा लागत 200 रुपये के नोटों की छपाई पर आ रही है। बिजनेसलाइन में आरटीआई के हवाले से छपी खबर के अनुसार, 200 रुपये का नोट छापना 500 रुपये की तुलना में कहीं ज्‍यादा महंगा लग रहा है। रिजर्व बैंक ने आरटीआई के जवाब में बताया कि 10 रुपये का नोट छापना 20 रुपये के नोट छापने से ज्‍यादा महंगा पड़ रहा है। कागज की ऊंची कीमतों के अलावा अन्‍य वस्‍तुओं की बढ़ती महंगाई की वजह से नोटों की छपाई लागत में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि, आरबीआई ने अब 2,000 रुपये के नोटों की छपाई लगभग बंद कर दी है। आरबीआई के अनुसार, मौजूदा समय में 10 रुपये के एक हजार नोट छापने पर 960 रुपये का खर्च आता है, जबकि 20 रुपये के लिए इसकी लागत सिर्फ 950 रुपये है। यानी 10 के नोट की छपाई 20 से ज्‍यादा महंगी पड़ रही। इसी तरह, 500 रुपये के हजार नोट छापने पर 2,290 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जबकि 200 रुपये के हजार नोट छापने पर कुल 2,370 रुपये का खर्च आता है। मौजूदा समय में अगर 2,000 रुपये के नोटों को छोड़ दिया जाए तो छपाई पर सबसे ज्‍यादा लागत 200 रुपये के नोट पर आ रही है। 100 रुपये के हजार नोट छापने पर 1,770 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। एक साल में नोट छपाई की लागत में हुई बढ़ोतरी की बात करें तो सबसे ज्‍यादा असर 50 रुपये के नोट छापने पर पड़ा है। आरबीआई ने बताया कि वित्‍तवर्ष 2020-21 में 50 रुपये के हजार नोट छापने का खर्च 920 रुपये आता था, जो 2021-22 में 23 फीसदी बढ़कर 1,130 रुपये हो गया है. सबसे कम असर 20 रुपये के नोट छापने पर हुआ है। 2020-21 में 20 रुपये के हजार नोट छापने पर जहां 940 रुपये खर्च होते थे, वहीं बीते वित्‍त वर्ष में इस पर 950 रुपये का खर्च हो गया है। इस दौरान 500 रुपये के नोटों की छपाई लागत में कोई बदलाव नहीं आया है। रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार मिलकर देश में चार जगहों पर नोटों की छपाई करते हैं। इसमें से दो प्रेस आरबीआई के पास हैं, जबकि दो का संचालन केंद्र सरकार करती है। आरबीआई के दोनों प्रेस मैसूर और सालबोनी में हैं, जबकि केंद्र सरकार के प्रेस नासिक और देवास में स्थित हैं. हालांकि, सिक्‍के ढालने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है। देश में मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में सिक्‍कों की ढलाई होती है।

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