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आज है आतंकवाद विरोधी दिवस : लोगों को इसके दुष्प्रभावों से अवगत कराना उद्देश्य

आज है आतंकवाद विरोधी दिवस: लोगों को इसके दुष्प्रभावों से अवगत कराना  उद्देश्य
सीएन, नैनीताल।
आतंकवाद विरोधी दिवस हर साल 21 मई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इसके दुष्प्रभावों से अवगत कराना है। इस दिन को मनाने की शुरुआत भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद हुई थी जो 21 मई 1991 को एक आतंकवादी हमले में मारे गए थे। विदित हो कि 21 मई 1991 को तमिलनाडु में श्रीपेरम्बुदूर में चुनाव प्रचार के दौरान भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। राजीव गांधी बलिदान दिवस को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का उद्देश्य देश के सभी वर्गों के लोगों में आतंकवाद और हिंसा के खतरों तथा जनता, समाज और पूरे देश में पड़ने वाले इसके दुष्प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इसी उद्देश्य से स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालयों में आतंकवाद और हिंसा के खतरों पर परिचर्चा, वाद-विवाद, संगोष्ठी, सेमिनार और व्याख्या आदि का आयोजन किया जाता है। आतंकवाद एक प्रकार के माहौल को कहा जाता है। इसे एक प्रकार के हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता हैए जो कि अपने आर्थिक धार्मिक राजनीतिक एवं विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए गैर.सैनिक अर्थात् नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर राज्य कारकों द्वारा किये गए राजनीतिक, वैचारिक या धार्मिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर-क़ानूनी हिंसा और युद्ध को भी शामिल कर लिया गया है। अगर इसी तरह की गतिविधि आपराधिक संगठन द्वारा चलाने या को बढ़ावा देने के लिए करता है तो सामान्यतः उसे आतंकवाद नही माना जाता हैए यद्यपि इन सभी कार्यों को आतंकवाद का नाम दिया जा सकता है। गैर.इस्लामी संगठनों या व्यक्तित्वों को नजरअंदाज करते हुए प्रायः इस्लामी या जिहादी के साथ आतंकवाद की अनुचित तुलना के लिए इसकी आलोचना भी की जाती है।

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