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आज ही के दिन यानी 16 अगस्त साल 2018 में हमें छोड़ कर चले गए अटल
सीएन, नई दिल्ली। 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी आज ही के दिन यानी 16 अगस्त साल 2018 में हमें छोड़ कर चले गए। अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सदैव अटल’ जाकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पांचवीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। दिल्ली में ‘सदैव अटल’ वाजपेयी का स्मारक है। 2018 में आज ही के दिन दिल्ली एम्स में उनका लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। वाजपेयी को 2015 में देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया था। वह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में एक थे। वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल 1996 में मात्र 13 दिनों का था। इसके बाद, वह 1998 में फिर प्रधानमंत्री बने और उन्होंने 13 महीने तक इस पद को संभाला। 1999 में वह तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी नेता थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पांचवीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर देश भर के नेता और सामाजिक क्षेत्र के लोग उन्हें याद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि दी है।
अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय
उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे। वहीं शिन्दे की छावनी में 25 दिसम्बर 1924 को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी से अटल जी का जन्म हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे, लोकसभा, निचले सदन, दस बार, और दो बार राज्य सभा, ऊपरी सदन में चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया, 2009 तक उत्तर प्रदेश जब स्वास्थ्य सम्बन्धी चिन्ताओं के कारण सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए। अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किए। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हे भीष्मपितामह भी कहा जाता है। उन्होंने 24 दलों के गठबन्धन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। 2005 से वे राजनीति से संन्यास ले चुके थे और नई दिल्ली में 6-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे। 16 अगस्त 2018 को लम्बी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली में श्री वाजपेयी का निधन हो गया। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। श्री वाजपेयी प्रधानमन्त्री पद पर पहुँचने वाले मध्यप्रदेश के प्रथम व्यक्ति थे।
चीन से संबंध काफी खराब होने पर भी बिजींग गये बाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी भारत के विदेश मंत्री हुआ करते थे। 1962 की लड़ाई के बाद भारत और चीन के संबंध काफी खराब हो गए थे। करीब 20 साल तक कोई बड़ा सरकारी दौरा नहीं हुआ। फरवरी 1979 में अटल चीन जा रहे थे। एयरपोर्ट पर उनके चाहने वाले फूल-माला लेकर खड़े थे। यहीं एक महिला पोस्टर लेकर खड़ी थी, ‘सन 62 को भूल न जाना’। एक बैनर पर लिखा था ‘कब्जे वाले इलाके को वापस लेना है।’ चीन ने 1962 में भारत की सीमा में घुसकर 14,000 वर्ग मील इलाके पर कब्जा कर लिया था। ज्यादातर यह इलाका पूर्वोत्तर कश्मीर का हिमालयी क्षेत्र है जो अब भी चीन के कब्जे में है। उस समय मोरारजी देसाई की सरकार थी। रूस की तरफ झुकाव रखने वाले नेता अटल के इस दौरे की जरूरत पर सवाल उठा रहे थे लेकिन वह बीजिंग गए।
भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित किया
अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीक से सम्पन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबन्ध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊँचाईयों को छुआ।