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गठबंधन की राजनीति में प्रधानमंत्री मोदी की बढ़ी मुश्किल, दिखने लगा गठबंधन कल्चर का असर

गठबंधन की राजनीति में प्रधानमंत्री मोदी की बढ़ी मुश्किल, दिखने लगा गठबंधन कल्चर का असर
अनिल कुमार, नईदिल्ली।
मोदी सरकार की तीसरे कार्यकाल में अब गठबंधन कल्चर का असर दिखने लगा है। हाल ही में वक्फ संशोधन बिल से लेकर ब्यूरोक्रेसी में लेटरल एंट्री पर यू.टर्न ने साफ संकेत दिए हैं कि एनडीए के सहयोगी बीजेपी पर दबाव डाल रहे हैं। इस बात की चर्चा आम लोग ही नहीं बल्कि बीजेपी में भी दबी जुबान में होने लगी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीजेपी के संगठन से लेकर सरकार में शामिल वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि बीजेपी अभी गठबंधन संस्कृति की आदि नहीं हुई है। ऐसे में किसी भी निर्णय को लेकर सहयोगियों से लंबी चर्चा करने की जरूरत है। खास बात है कि सहयोगियों के दबाव से पीएम मोदी की भी मुश्किल बढ़ती दिख रही है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सरकार के एक मंत्री ने यह माना है कि तीसरे कार्यकाल के शुरुआती दिनों में इस तरह के घटनाक्रमों ने निश्चित रूप से यह धारणा बनाई है कि इस बार सरकार कमजोर है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसकी वजह पिछले दो कार्यकालों में बीजेपी सरकार की मजबूत, स्थिर और निर्णायक छवि बड़ी वजह है। रिपोर्ट में बीजेपी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि वक्फ अधिनियम में व्यापक बदलावों का प्रस्ताव करने वाले विधेयक परए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने कानून लाने से पहले सहयोगी दलों से परामर्श किया था। साथ ही उनकी मांग पर विस्तार से अध्ययन करने के लिए संसद की एक संयुक्त समिति गठित की थी। तेलुगु देशम पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास जैसे सहयोगी वक्फ संशोधन विधेयक पर व्यापक परामर्श की मांग करते हुए खुलकर सामने आए थे। इसमें बाद में जेडीयू भी शामिल हो गया जिसने शुरुआत में अपने समर्थन का संकेत दिया था। हाल ही में केंद्रीय मंत्री और लोजपा रामविलास द्ध के अध्यक्ष चिराग पासवान ने जाति जनगणना की मांग की है। यह मांग लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बार.बार कर रहे हैं। नौकरशाही में 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री भर्ती की मांग करने वाले यूपीएससी विज्ञापन के बारे में आपत्ति व्यक्त करने वाले एनडीए के पहले नेताओं में से पासवान एक थे। इतना ही नहीं चिराग ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी हाल ही में अनुसूचित जाति एससी और अनुसूचित जनजाति एसटी के उप.वर्गीकरण की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर समीक्षा याचिका दायर कर सकती है। चिराग का कहना था कि लोजपा रामविलास संविधान में आरक्षण के मौजूदा मानदंडों के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहती है। उन्होंने यहां तक सुझाव दिया कि केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए अध्यादेश जारी कर सकता है कि नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में कोटा से एससी और एसटी के बीच तथाकथित क्रीमी लेयर को बाहर न रखा जाए। रिपोर्ट के अनुसार पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि गठबंधन सहयोगियों के साथ बीजेपी का हनीमून पीरियड खत्म होता दिख रहा है। आने वाले दिनों में बीजेपी नेतृत्व एनडीए के भीतर से इस तरह के और दबावों और खींचतान के लिए कमर कस रहा है। दूसरी तरफ गठबंधन की महत्वपूर्ण सहयोगी टीडीपी राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और मुख्यमंत्री नायडू एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा शुरू किए गए काम को जारी रखने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है। पार्टी अपने समर्थन आधार की सुरक्षित करने के लिए अधिक सचेत हैं। रिपोर्ट में एनडीए में समन्वय प्रक्रिया से परिचित एक बीजेपी नेता के हवाले से कहा गया है कि यहां तक कि टीडीपी से भी कुछ राजनीतिक निर्णयों के मामले में बीजेपी को आसानी से समय देने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। एक अन्य नेता ने कहा कि बीजेपी को नियमित परामर्श प्रक्रिया में शामिल होना होगा हमें ऐसा करना होगा। ये शुरुआती परेशानियां हैं। रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी के एक सहयोगी दल के नेता ने कहा कि परामर्श प्रक्रिया शुरू हो गई हैए लेकिन निश्चित रूप से अभी और भी कुछ होना चाहिए। बीजेपी को सभी निर्णयों में हमें शामिल रखना चाहिए, क्योंकि आजकल हर छोटे कदम का राजनीतिक परिणाम होता है। छोटी पार्टियां होने के कारण, एनडीए में गठबंधन सहयोगियों को अपनी जमीन बचानी होगी। अपने हालिया कार्यकाल की शुरुआत से ही बीजेपी इस बात से अवगत है कि उसके पास कम जनादेश है और वह अपने सहयोगियों पर निर्भर है। चुनावों के बाद एनडीए की पहली बैठक में जब एक बीजेपी नेता ने कहा तीसरी बार मोदी सरकार तो एक मंत्री ने तुरंत उन्हें सचेत किया। उन्होंने अपनी बात सुधारते हुए कहा तीसरी बार एनडीए सरकार। संसद में एनडीए सांसदों की दूसरी बैठक में मोदी ने उन्हें हर सत्र में एक साथ मिलने की सलाह दी। नई लोकसभा के गठन के बाद सेए जबकि एनडीए के सांसद दो बार मिल चुके हैं बीजेपी संसदीय दल की अभी तक बैठक नहीं हुई है। हालांकि कोई औपचारिक समिति गठित नहीं की गई है लेकिन एनडीए नेताओं ने इस महीने की शुरुआत में एक समन्वय बैठक की थी। इसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें आश्वासन दिया कि ऐसी बैठकें अधिक बार होंगी। एनबीटी काम से साभार

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