जन मुद्दे
कितना कुछ सहने के बावजूद हम चुप हैं, यह हमारे सब्र का इम्तिहानः मदनी
सीएन, सहारनपुर। देवबंद में जमीयत के अधिवेशन के तीसरे चरण में कई प्रस्ताव पेश किए गए, साथ ही कुछ अहम सुझाव दिए गए। अधिवेशन के दूसरे दिन मौलाना असद मदनी ने कहा कि कितना कुछ सहने के बावजूद हम चुप हैं। यह हमारे सब्र का इम्तिहान है, कहा कि यदि हमारा खाना, पहनना नहीं पसंद तो हमारे साथ मत रहो, कहीं और चले जाओ। जमीयत उलमा-ए-हिंद के दो दिवसीय अधिवेशन में उलमा देश के मौजूदा हालात समेत अनेक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अधिवेशन में अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि हमारा मजहब अलग है, हमारा लिबास अलग है, हमारे खाने-पीने, पहनने का तरीका भी अलग है। यदि तुमको हमारा मजहब बर्दाश्त नहीं है तो तुम कहीं ओर चले जाओ। मौलाना मदनी ने कहा कि वे जरा-जरा सी बात पर हमें कहते हैं कि पाकिस्तान चले जाओ। अरे तुम्हे मौका नही मिला था पाकिस्तान जाने का। हमे मौका मिला लेकिन हमने रिजेक्ट कर दिया था।