उत्तराखण्ड
443 बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने लगाया विभाग को चूना, अब नहीं दे रहे जवाब
सीएन, देहरादून। महालेखाकार (कैग) की जांच में सामने आए घपलों और लापरवाही के मामलों में शिक्षा विभाग के अफसरों की भूमिका सवालों के घेरे में आ रही है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत एसएसए और रमसा में पाए गए 173 मामलों में 139 मामलों की रिपेार्ट दबाए बैठे हैं। कई मर्तबा निर्देश देने के बावजूद आडिट आप्त्तितयों का जवाब और दोषियों के खिलाफ एक्शन टेकन रिपोर्ट न देने पर डीजी-शिक्षा बंशीधर तिवारी ने सभी जिला परियोजना अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी।
कहा कि यदि इन मामलों में शासन या महालेखाकार (लेखा परीक्षा) द्वारा कोई कार्रवाई की जाती है तो संबंधित अधिकारी खुद उसके जिम्मेदार होंगे। अफसरों के रवैये को डीजी खेदजनक माना है। सात जिलों ने नहीं दिया एक भी जवाब राज्य के 13 जिलों में केवल छह ने ही कुछ आपत्तियों का जवाब दिया है। जबकि हरिद्वार, नैनीताल, पौड़ी,पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी, यूएसनगर ने जवाब देने की जहमत नहीं की।
यह है मामला
पिछले पांच साल में महालेखाकार ने शिक्षा विभाग में 443 ऐसे मामले पाए हैं, जिसमें अफसरों ने विभाग को आर्थिक चूना लगाया है या लापरवाही के कारण शिक्षा की गुणवत्त्ता प्रभावित हुई है। महालेखाकार के निर्देश के बावजूद शिक्षा विभाग ने मामले में कार्रवाई नहीं की। माध्यमिक शिक्षा निदेशक और डीजी ने महालेखाकार की नाराजगी को देखते हुए जिला स्तरीय अधिकारियों से सभी मामलों में तत्काल रिपेार्ट देने के निर्देश दिए हैं। दिसंबर 2021 से लगातार जांच रिपेार्ट मांगी जा रही है, लेकिन कार्यवाही बेहद धीमी रफ्तार से हो रही है।