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उत्तराखण्ड

सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष ने कहा-परीक्षाओं में माफिया का दखल

सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष ने कहा-परीक्षाओं में माफिया का दखल
सीएन, देहरादून।
स्नातक स्तरीय भर्ती पेपर लीक प्रकरण का विवाद बढ़ने पर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने भर्तियों में सियासी दबाव और माफिया का दखल होने की बात स्वीकार करते हुए, नैतिक जिम्मेदारी के आधार पर इस्तीफा दिया है। शुक्रवार को इस्तीफे की घोषणा करते हुए एस राजू ने कहा कि स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के बाद उन्हें कुछ शिकायतें मिली थी। इस आधार पर उन्होंने खुद आयोग के रिकॉर्ड से जांच कर मैरिट में शामिल 88 संदिग्ध नाम पुलिस को दिए। इसी आधार पर धरपकड़ हो रही है। इसमें अब तक आयोग के किसी अधिकारी या कर्मचारी की संलिप्तता सामने नहीं आई है। फिर भी परीक्षा में सेंधमारी तो साबित हुई ही है। इससे परीक्षार्थियों का नुकसान हुआ है। इसलिए वे नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे रहे हैं। एस राजू ने परीक्षाओं में माफिया के दखल को स्वीकार करते हुए कहा कि आयोग और सचिव संतोष बडोनी के पीछे लगातार नकल माफिया पड़ा हुआ है। ऑनलाइन परीक्षा एक बड़ा सुधार है, लेकिन माफिया के हित प्रभावित होने से इस प्रक्रिया को बदनाम किया गया। इस कारण अब कोई प्रतिष्ठित कंपनी सेवा देने को तैयार नहीं है। इससे आयोग के प्रति युवाओं का विश्वास कम हुआ है। वर्तमान भर्ती में माफिया के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्होंने कई नाम सुने हैं, लेकिन पुष्ट नहीं होने के चलते वो किसी का नाम नहीं ले रहे है। फिर भी इस मामले में माफिया का हाथ तो नजर आता ही है। राजू के अनुसार उनके कार्यकाल में 88 भर्ती हुई, लेकिन पेपर आउट या नकल के दो ही मामले हुए। अन्य मामले पेपर मिस प्रिंट के थे, जो एक सामान्य बात है। राष्ट्रीय स्तर पर पेपर मिस प्रिंट का औसत पांच प्रतिशत है, जबकि आयोग में सिर्फ 1.5 प्रतिशत रहा। फिर भी आयोग को निशाना बनाया गया। एस राजू के मुताबिक उनका कभी किसी नेता से संबंध नहीं रहा। सियासी लोग नियुक्ति को लेकर दबाव तो बनाते ही थे, लेकिन कभी गलत काम नहीं किया। वर्तमान प्रकरण में उन पर जांच नहीं कराने का दबाव था, लेकिन उन्होंने जांच का निर्णय लिया। अब लोग उनके चरित्र पर उंगली उठा रहे है, जिससे बुरा लग रहा है। एस राजू ने पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने पूर्व में तीन प्रकरण की जांच पुलिस को सौंपी थी लेकिन किसी में भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई। पूर्व में हुई वीपीडीओ भर्ती में उनकी जांच में ओएमआर शीट में छेड़छाड़ की बात पुष्टि हुई थी, लेकिन विजिलेंस पांच साल से इस जांच को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई है। उन्होंने कहा फॉरेस्टगार्ड भर्ती में पुलिस ने आयोग को पार्टी बनाया ही नहीं। अन्य किसी भी मामले में कोर्ट ने आयोग पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। राजू ने वर्तमान प्रकरण में भी सरकार के स्तर से पूरा समर्थन नहीं मिलने पर दु:ख जताया।

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