उत्तराखण्ड
सरकार का कोई रोडमैप नहीं, कर रही है लाखों नौकरियों का वायदा : यशपाल
शहरी बेरोजगारी के मामले में पहले नंबर पर पहुँच गया है उत्तराखंड, 10,39,697 युवा हैं बेरोजगार
सीएन, देहरादून। उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि उत्तराखंड में भाजपा सरकार ‘लाखों नौकरियों’ का वादा कर रही हैं, लेकिन भाजपा सरकार का कोई रोडमैप नहीं दिख रहा है कि नई नौकरियां कैसे और कहां पैदा होंगी। उससे भी अधिक कष्टप्रद है कि सरकार कह रही है कि राज्य में बेरोजगारी की दर लगातार कम होती जा रही है और केंद्र त था राज्य सरकार द्वारा युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए विभिन्न विभागों के माध्यम से रोजगारपरक योजनाएं चलायी जा रही है। उत्तराखंड में बेरोजगारी दर देश के 11 राज्यों से अधिक हो गई है तथा शहरी बेरोजगारी के मामले में पहले नंबर पर उत्तराखंड पहुँच गया है, वर्ष 2001 में प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या तीन लाख 13 हजार थी, जो अब बढ़कर 10 लाख 39 हजार 697 हो गई है। सेंटर फार मानीटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआइई) की ओर से एक मई को जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में उत्तराखंड की बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत है। जो असम 1.2, छत्तीसगढ़ 0.6, गुजरात 1.6, हिमाचल प्रदेश 0.2, कर्नाटक 2.7, मध्य प्रदेश 1.6, महारष्ट्र 3.1, मेघालय 2.2, उड़ीसा 1.5, तमिलनाडु 3.2, उत्तर प्रदेश 2.9 प्रतिशत बेराजगारी दर से अधिक है। जबकि आंध्र प्रदेश की बेरोजगारी दर उत्तराखंड के बराबर है। वहीं, देश की वर्तमान बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत है। त्तराखंड में बड़ी संख्या में नौकरियों में गिरावट दर्ज की गई है. सीएमआईई के द्वारा दिए गए आंकड़े के अनुसार उत्तराखंड में बेराजगारी दर साल 2016 के मुकाबले साल 2021 तक 10 प्रतिशत तक गिर गई है. रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में सितंबर-दिसंबर 2016 में 40.01 प्रतिशत लोग कार्यरत थे जो सितंबर-दिसंबर 2021 में कम होकर महज 30.43 प्रतिशत पर पहुंच गई है। वहीं इसे कामकाजी उम्र (15 साल या उससे अधिक) के आबादी के अनुसार समझे तो उत्तराखंड में पांच साल पहले 78 लाख कामकाजी उम्र की आबादी में 32.23 लाख से अधिक लोग कार्यरत थे. वहीं पिछले पांच सालों में कामकाजी उम्र की आबादी लगभग 14 प्रतिशत तक बढ़ी है और यह 91 लाख तक पहुंच गई है पर कार्यरत लोगों की संख्या बढ़ने की जगह कम हो गई है. दरअसल, रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 दिंसबर तक कुल 91 लाख कामकाजी आबादी में सिर्फ 27.82 लाख लोग ही कार्यरत हैं जो साल 2016 के मुकाबले 4.41 लाख कम है. ऐसा नहीं है कि इस राज्य में रोजगार की कोई संभावना ही नहीं है। इस राज्य में भी रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।उत्तराखंड को प्रकृति ने अपार प्राकृतिक सौंदर्य ऊंचे पहाड़ ,नदियां,झीलें ,हिम से ढकी हिमालय की शानदार चोटियों, अनगिनत जड़ी बूटियां, फल-फूल साथ ही साथ भगवान शिव का निवास स्थान ( कैलाश),बद्रीनाथ, जागेश्वर ,केदारनाथ,पूर्णागिरी,यमनोत्री,गंगोत्री और नैना देवी आदि से परिपूर्ण किया है और उत्तराखंड का विस्मित कर देने वाला भू भाग आधा पहाड़ और आधा मैदान।फिर भी उत्तराखंड के युवा बेरोजगार है। कौशल विकास एवं सेवा योजना विभाग का गठन तो हुआ लेकिन भाजपा का जुमला भर ही रहा। हालांकि सरकार सभी लोगों को सरकारी नौकरी नहीं दे सकती।लेकिन जो सरकारी पद रिक्त हैं उनको भरा तो जा ही सकता है। इस वक्त राज्य में लगभग 40,000 से ज्यादा पद रिक्त हैं । लेकिन उनको भरने की कोई व्यवस्था नहीं है। और न ही भरने में सरकार की कोई दिलचस्पी दिख रही है। सरकार हर साल नौकरी देने की बात तो करती है। लेकिन धरातल में ऐसी उसकी कोई मंशा नहीं लगती।वरना सरकार यह ऐलान क्यों करती कि 3 साल से ज्यादा लंबे समय से जो पद खाली हैं।उन्हें समाप्त कर दिया जाए और लगभग 25,000 पद खत्म कर दिए।