उत्तराखण्ड
सूखाताल झील में हो रहे भारी भरकम निर्माण के खिलाफ दायर जनहित याचिका की हाईकोर्ट में सुनवाई, हरिगुप्ता को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त
नैनीताल ।उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने सूखाताल झील का हो रहे सौदर्यीकरण व भारी भरकम निर्माण कार्यों के मामले में कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने जनहित याचिका में कार्तिकेय हरि गुप्ता को न्यायमित्र नियुक्त किया है। मामले की अगली सुनवाई 2 मई की तिथि नियुक्त तिथि नियत की है। आज कुमाऊं मंडल विकास निगम की तरफ से शपथ पत्र पेश कर कहा गया कि झील में वर्षात के समय पानी भरता है। जिसकी सतह पर कंक्रीट न करके उसकी सतह पर अब जीओ सेन्थेटिकल की परत बिछाई जा रही है। जिससे झील का रिझाव धीरे धीरे होगा और झील में बारह महीने पानी भरा रहेगा और नैनीझील से दवाब कम होगा। पहले लेक की सतह पर कंक्रीट करने का प्रस्ताव था जिसे आईआईटी रुड़की ने निरस्त कर दिया । झील का सम्पूर्ण कार्य आईआईटी रुड़की के दिशानिर्देशों के अनुसार किया जा रहा है। शपथपत्र में यह भी कहा गया है कि इस झील का नैनीझील में केवल 3 फीसदी ही पानी जाता है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे खंडपीठ में हुई।मामले के अनुसार नैनीताल निवासी डॉ0 जी पी साह व अन्य ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर सूखाताल में हो रहे भारी भरकम निर्माण से झील के प्राकृतिक जल स्रोत बन्द होने सहित कई अन्य बिंदुओं से अवगत कराया था । पत्र में कहा है कि सूखाताल नैनी झील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किये जा रहे हैं ।