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ग्लोबल वार्मिंग के कारण समय से दो माह पहले ही खिल गया पहाड़ों में बुरांश

ग्लोबल वार्मिंग के कारण समय से दो माह पहले ही खिल गया पहाड़ों में बुरांश
सीएन, नैनीताल। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिछले 10 वर्षों से हिमालयी क्षेत्रों में बड़ा परविर्तन देखने को मिल रहा है। वर्षा नहीं होने से जहां खेती किसानी प्रभावित हो रही है; वही वनस्पतियां भी प्रभावित हो रही है। नदियों व जलाशयों में भी विपरीत प्रभाव देखने को मिल रही है।  इस बार भी उत्तराखंड के राज्य वृक्ष बुरांश के फूल समय से पहले ही खिलने लगे हैं। जनवरी माह में बुरांश का खिलना इसलिए भी हैरत में डाल रहा है क्योंकि आमतौर पर 15 मार्च से 30 अप्रैल के बीच बुरांश के फूल खिलते हैं। समय से दो महीने पहले ही बुरांश के फूल खिल जाने से हर कोई हैरान है। उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में में बुरांश के फूल खिले देखे गए हैं। विज्ञानी इस बदलाव को जलवायु परिवर्तन का असर मान रहे हैं। सुर्ख लाल से लेकर मध्यम लाल रंग के बुरांश के फूल हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। उत्तराखंड में बुरांश की मुख्यतः चार तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिन्हें वानस्पतिक भाषा में रोडोडेंड्रोन बारबेटम, रोडोडेंड्रोन लेपिडोटम, रोडोडेंड्रोन एरबोरियम और रोडोडेड्रोन केम्पानुलेटम कहा जाता है। कुविवि डीएसबी परिसर वनस्पति विज्ञान के प्राध्यापक प्रो ललित तिवारी बताते हैं कि समय से पहले बुरांश का खिलना मौसम में आ रहे बदलाव का असर है। मार्च-अप्रैल के समय जलवायु बुरांश के फूलों के लिए उपयुक्त होती है। उनका कहना है कि कि बीते 6 माह से न तो बारिश हुई है और न ही बर्फबारी देखने को मिल रही है, जिससे हिमालयी क्षेत्रों में तापमान बढ़ रहा है और पौधों के लिए एक उचित तापमान बेहद आवश्यक है। अगर उन्हें समय से पहले ही पर्याप्त तापमान मिल जाता है, तो फ्लावरिंग होनी शुरू हो जाती है, लेकिन यह हिमालय की सेहत के लिए चिंता का विषय है। तिवारी का कहना है कि पूरे वश्वि में ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिछले 10 वर्षों से हिमालयी क्षेत्रों में बड़ा परविर्तन देखने को मिल रहा है।
फूलों के औषधीय गुणों पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना : तिवारी
प्रो. तिवारी का कहना हैकि बेमौसम बुरांश खिलने का असर इसके तत्वों पर भी पड़ सकता है। ऐसे में बुरांश के फूल तो खिल रहे हैं, लेकिन इन फूलों के अंदर बनने वाले रसायन ठीक तरह से बन नहीं पाते हैं। ऐसे में इसके औषधीय गुणों पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है। वह आगे कहते हैं कि ऐसे में फूल केवल रॉ मटेरियल ही प्रयोग में लाया जा सकता है। मेडिसिनल बेनिफिट में असर देखने को मिल सकता है। जानकारी देते हुए बताते हैं कि बुरांश का जूस दिल के मरीजों के लिए बहुत अच्छा होता है। उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में मिलने वाले बुरांश के फूलों का जूस अन्य जगहों की अपेक्षा अधिक औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

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