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खतरा : बिपरजॉय की वजह से भारत के भीतरी इलाकों में मानसून नहीं पहुंचा
खतरा : बिपरजॉय की वजह से भारत के भीतरी इलाकों में मानसून नहीं पहुंचा
सीएन, नैनीताल। भारतीय मौसम विभाग और स्काइमेट वेदर का कहना है कि भारत के मैदानी इलाकों में इस बार बारिश तरसा सकती है। मौसम विभाग के अनुसार, जुलाई के पहले हफ्ते तक मैदानी इलाकों में ज्यादा बारिश की संभावना नहीं है। मौसम विभाग के अनुसार, मध्य भारत में 80 प्रतिशत और उत्तर पूर्वी भारत में 53 प्रतिशत कम बारिश होगी। बारिश में कमी की वजह चक्रवाती तूफान बिपरजॉय को माना जा रहा है। बिपरजॉय की वजह से भारत के भीतरी इलाकों में मानसून नहीं पहुंच पाया है। चक्रवाती तूफान के धीमा पड़ने के बाद भी दबाव कम रहेगा, जिससे भी मानसून उत्तर पश्चिम भारत में देरी से पहुंचेगा। जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्य और उत्तर पश्चिमी भारत में 6 जुलाई तक सूखे जैसे हालात रह सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान 60 प्रतिशत से भी कम बारिश होने की आशंका है। वहीं मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 30 जून से 6 जुलाई के दौरान देश में होने वाली बारिश में 54 प्रतिशत की कमी आएगी। दक्षिण पेनिनसुला क्षेत्र में एक जून से होने वाली बारिश में 53 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
अत्यंत गंभीर तूफान बनेगा बिपरजॉय
चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ का खतरा तटीय इलाकों में मंडरा रहा है। आईएमडी वैज्ञानिकों ने कहा है कि चक्रवात अगले 12 घंटों में ‘बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान’ बन जाएगा। 14 जून तक यह उत्तर की ओर और फिर सौराष्ट्र-कच्छ तट की ओर बढ़ेगा, जिसे यह 15 जून को दोपहर तक पार कर जाएगा। बिपरजॉय के कारण 15 जून को गुजरात के कच्छ और पाकिस्तान के कराची के बीच भूस्खलन की आशंका है। बुलेटिन में कहा, ‘‘यह चक्रवाती तूफान सुबह साढ़े पांच बजे मुंबई से लगभग 580 किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण पश्चिम, पोरबंदर से 480 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम, द्वारका से 530 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम, नलिया से 610 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम और कराची (पाकिस्तान) से 780 किलोमीटर दक्षिण में उसी स्थान पर केंद्रित रहा।”