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आज है ब्राजील स्वतंत्रता दिवस : देश को आज़ाद कराने वाले सम्राट के 189 साल पुराने दिल पर क्यों हो रहा विवाद

आज है ब्राजील स्वतंत्रता दिवस : देश को आज़ाद कराने वाले सम्राट के 189 साल पुराने दिल पर क्यों हो रहा विवाद
सीएन, दिल्ली।
पुर्तगाल से आजादी के 200 साल पूरा होने के अवसर पर ब्राजील के पहले सम्राट डॉम पेड्रो प्रथम का सुरक्षित रखा हुआ दिल पुर्तगाल से ब्राज़ीलियाई पहुंच गया है। इस दिल को दवाओं के लेप के सहारे पिछले 189 सालों से सुरक्षित रखा गया है। फार्मेल्डिहाइड से भरे सोने के एक फ्लास्क में रखे सम्राट डॉम पेड्रो प्रथम के इस दिल को एक सैन्य विमान के ज़रिए ब्राज़ील लाया गया। जनता के दर्शन के लिए पेश करने के पहले इस दिल का सैनिक सम्मान के साथ स्वागत किया जाएगा। 7 सितंबर को ब्राजील की आजादी के 200 साल पूरे हो रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम हो जाने के बाद राजा पेड्रो प्रथम के दिल को फिर से पुर्तगाल भेज दिया जाएगा। इससे पहले पुर्तगाल के अधिकारियों ने समुद्र के किनारे बसे शहर पोर्टो से इस दिल को ब्राज़ील ले जाने की मंजूरी दी। उसके बाद ब्राज़ील की वायुसेना का एक विमान इसे ब्राज़ील लेकर पहुंचा। पुर्तगाल से इस काफिले के साथ वहां जाने वाले लोगों में पोर्टो के मेयर रूई मोरीरा भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि ब्राजील के नागरिकों के दर्शन कर लेने के बाद फिर से इस दिल को पुर्तगाल ले जाया जाएगा। ब्राज़ील के विदेश मंत्री के मुख्य प्रोटोकॉल अधिकारी एलन कोएल्हो सेलोस ने बताया  दिल का एक राष्ट्राध्यक्ष के रूप में स्वागत किया जाएगा। इसे ऐसा सम्मान दिया जाएगा मानो सम्राट डॉम पेड्रो प्रथम अभी भी हमारे बीच जीवित हैं। सेलोस ने बताया उनके स्वागत में राष्ट्रगान और स्वतंत्रता के गाने बजाए जाएंगे, जिसका संगीत संयोग से ख़ुद डॉम पेड्रो प्रथम ने ही तैयार किया था। वो सम्राट होने के साथ ही साथ अच्छे संगीतकार भी थे। डॉम पेड्रो का जन्म 1798 में पुर्तगाल के शाही परिवार में हुआ था जिसका उस वक़्त ब्राज़ील पर भी कब्ज़ा था। नेपोलियन की सेना से बचने के लिए उनका परिवार पुर्तगाल से भागकर ब्राज़ील के अपने उपनिवेश में चला गया था। बाद में 1821 में डॉम पेड्रो के पिता किंग जॉन पुर्तगाल लौट गए लेकिन अपने बेटे को उन्होंने ब्राज़ील का प्रतिनिधि शासक नियुक्त करते हुए वहीं छोड़ दिया। हालांकि महज़ एक साल बाद ही इस युवा प्रतिनिधि शासक ने पुर्तगाल की संसद की इच्छा के ख़िलाफ़ जाकर ब्राज़ील की आज़ादी का एलान कर दिया। इसके अलावा, उन्होंने पुर्तगाल के उस आदेश को भी मानने से इनकार कर दिया कि वे अपने देश वापस लौट आएं। 7 सितंबर 1822 को उन्होंने ब्राज़ील की आज़ादी का एलान कर दिया। उसके बाद डॉम पेड्रो प्रथम के रूप में उन्हें ब्राज़ील का सम्राट बनाया गया। पुर्तगाल की गद्दी पर अपनी बेटी का दावा करने के लिए बाद में वे पुर्तगाल लौटे और वहीं टीबी से उनकी मौत हो गई। अपने मृत्युशय्या पर उन्होंने कहा कि मौत के बाद उनके दिल को शरीर से निकालकर पोर्टो शहर ले जाया जाए। उसके बाद उनके दिल को पोर्टो के एक चर्च में रखा गया। 1972 में ब्राज़ील की आज़ादी की 150वीं वर्षगांठ पर उनके शरीर को ब्राज़ील भेज दिया गया जहां साओ पाउलो स्थानांतरित कर दिया गया था। उसे साओ पाउलो के एक तहखाने में रखा गया। पेड्रो प्रथम का दिल ब्राजील पहुंचाने के मामले ने विवाद भी पैदा कर दिया है। इसकी वजह है इसके पहुंचने की तारीख और चुनावी मुद्दा। कुछ रिसर्चरों ने सम्राट के दिल को इस वक्त यहां पहुंचने पर भी सवाल उठाया गया है। जाएर बोलसोनारो दोबारा राष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहे हैं। फिलहाल सर्वेक्षणों में उन्हें पूर्व राष्ट्रपति लुइज इनासियो लुला डी सिल्वा से पीछे दिखा गया गया है। यह सब ऐसे वक्त में हो रहा है कि जब 7 सितंबर में पूरे ब्राजील में बोलसोनारो समर्थक प्रदर्शन करने वाले हैं। स्वतंत्रता दिवस रैलियों में इस बात की उम्मीद की जा रही है कि इसमें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और चुनाव व्यवस्था पर हमले होंगे। बोलसोनारो ने देश की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। इस बात का डर है कि अगर बोलसोनारो चुनाव हार जाते हैं तो चुनाव आयोग नतीजों को मान्यता नहीं देगा।

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