अंतरराष्ट्रीय
8 सितंबर को हर साल क्यों मनाया जाता है विश्व साक्षरता दिवस, भारत में कितने लोग पढ़े-लिखे
8 सितंबर को हर साल क्यों मनाया जाता है विश्व साक्षरता दिवस भारत में कितने लोग पढ़े-लिखे
सीएन, नैनीताल। किसी भी देश की खुशहाली और विकास इस बात पर निर्भर करता है कि वहां रहने वाले लोग कितने पढ़े.लिखे हैं। ऐसे में लोगों को साक्षरता के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। भारत में भी इसको लेकर कई प्रयास किए जा रहे हैं। सर्व शिक्षा अभियान इसका एक उदाहरण है। अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की जड़ें 1965 में ईरान के तेहरान में आयोजित निरक्षरता उन्मूलन पर शिक्षा मंत्रियों के विश्व सम्मेलन से जुड़ी हैं। इस सम्मेलन ने वैश्विक स्तर पर साक्षरता को बढ़ावा देने के विचार को जन्म दिया। इसके बाद यूनेस्को ने 1966 में अपने 14वें आम सम्मेलन के दौरान आधिकारिक तौर पर 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में घोषित किया। एक साल बाद, 8 सितंबर, 1967 को, दुनिया ने पहली बार इस खास दिन को मनाया, जिसने एक महत्वपूर्ण वैश्विक पालन की शुरुआत की। तब से लेकर अब तक हर साल नीति निर्माताओं, चिकित्सकों और जनता को अधिक साक्षर, न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और टिकाऊ समाज बनाने के लिए साक्षरता के महत्व की याद दिलाने के लिए हर साल 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। दुनिया भर में 773 मिलियन युवा वयस्कों में आज भी साक्षरता कौशल की कमी है। विश्व साक्षरता दिवस एक पहल है जो युवाओं को साक्षर होने और साक्षरता विभाजन को रोकने के लिए जागरूकता को बढ़ाती है। साथ ही साक्षरता संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों एसडीजी और सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र के 2030 के एजेंडा का एक प्रमुख घटक भी है। वर्तमान में विश्व की करीब 84 प्रतिशत आबादी साक्षर है। जबकि भारत की बात करें तो कुल साक्षरता दर 74.4 प्रतिशत है। इसमें 82.37 प्रतिशत पुरुष और 65.79 प्रतिशत महिलाएं साक्षर हैं। यह आंकड़ा 2011 की जनगणना के आधार पर है। केरल सबसे ज्यादा साक्षरता वाला राज्य है। वहींए बिहार सबसे कम। यूपी नीचे से 5 देशों में शामिल है। भारत में शिक्षा के स्तर को सुधारने लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।