Connect with us

संस्कृति

हरतालिका तीज का पावन पर्व 6 सितंबर शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा

हरतालिका तीज का पावन पर्व 6 सितंबर शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा
सीएन, नैनीताल।
इस साल हरतालिका तीज का पावन पर्व 6 सितंबर शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा।
हरतालिका तीज का व्रत कब
इस साल हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा। तृतीया तिथि का आरंभ 5 सितंबर की दोपहर में 12 बजकर 22 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 6 सितंबर को सुबह 3 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। तृतीया तिथि उदयकाल में 6 सितंबर को रहेगी ऐसे में हरितालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा।
हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि
हरतालिका तीज के दिन सुबह स्नान आदि के बाद भगवान शिव माता पार्वती और गणेश जी की मिट्टी से प्रतिमा बनाएं। इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें तिलक लगाएं और दूर्वा अर्पित करें। फिर भगवान शिव को बेलपत्र और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। कई जगह विवाह योग्य युवतियां भी मनवांछित वर की कामना करते हुए हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन होता है। इसे उत्तर भारत के कई हिस्सों में खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। यह शुभ पर्व शिव जी और माता पार्वती के बीच भक्ति और प्रेम को समर्पित है। इस व्रत में तीज माता ;माता पार्वती और शिव जी की पूजा की जाती है। महिलाओं को इनके आशीर्वाद से अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को रखा जाता है। यह पर्व पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए मनाया जाता है। हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बना है हरत और आलिका। हरत का अर्थ है हरण और आलिका मतलब का है सखी। यानी श्सखियों द्वारा हरणश् वहीं तीज तृतीया तिथि को कहा गया है। माता पार्वती के पिता उनका विवाह भगवान विष्णु जी के साथ करवाना चाहते थेए जबकि माता पार्वती अपने पति के रूप में भगवान शिव को चाहती थीं। तब उनकी सखियों ने माता पार्वती का हरण कर जंगल में छिपा दिया, जहां सैकड़ों वर्षों तक कठोर जप और तप करने के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न किया और पति स्वरूप में उनको प्राप्त किया। हरतालिका तीज का इतिहास पौराणिक कथाओं में निहित है।यह त्यौहार माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन का स्मरण करता है। पौराणिक कहानियों के अनुसारए माता पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए गंगा नदी के तट पर कठिन तप किया था। लेकिन उनके पिता हिमालय ने उनका विवाह विष्णु जी से करने का निर्णय बना लिया। ऐसे में देवी पार्वती ने अपनी पीड़ा सहेली से कही। इस पर सहेलियों ने उनका साथ देने के लिए उनका अपहरण कर लिया और पार्वती जी को घने जंगल में छिपा दिया। इसके बाद माता पार्वती ने तब तक उस घने जंगल में अपनी साधना की जब तक कि भगवान शिव को देवी की प्रतिबद्धता के बारे में पता नहीं चला और वह माता पार्वती से विवाह के लिए सहमत नहीं हो गए। उस समय से ही हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाने लगा।

More in संस्कृति

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING