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आज शिक्षक दिवस पर विशेष : जनजाति बालिका शिक्षा को  संघर्षरत रही गंगोत्री

आज शिक्षक दिवस पर विशेष : जनजाति बालिका शिक्षा को  संघर्षरत रही गंगोत्री
उत्तर भारत की पहली प्रेसिडेंट अवार्डी थी नैनीताल की गंगा रावत
शिक्षा के क्षेत्र में नैनीताल की स्व. हंसा बिष्ट के योगदान को याद रखा जायेगा
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं द्वारा दिये गये योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। पुरस्कार के मामले में नैनीताल को विशेष उपलब्धि हासिल है। जनजाति क्षेत्र में बालिका शिक्षा के लिए संघर्षरत रही राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त गंगोत्री गब्र्याल का नाम भी आज आदर से लिया जाता है। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करने वाली पार्वती गुरूरानी नैनीताल के ही जीजीआईसी में कार्यरत रही। गरीब बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित करने वाली यह शिक्षिका आदर्श शिक्षक के रूप में हमेशा याद की जाती रहेंगी। मालूम हो कि शिक्षा के क्षेत्र में किये गए उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार वर्ष 1961 में भारत की तीन महिलाओं को दिया गया था। इनमें दो महिला शिक्षक दक्षिण भारत की थी। जबकि उत्तर भारत की एक महिला इसमें शामिल रही। यह महिला नैनीताल निवासी स्व. गंगा रावत थी। जिन्हें सुन्दरी के नाम से भी जाना जाता था। लैंसडाउन गढ़वाल में पैदा हुई व नैनीताल को कर्मभूमि बनाने वाली गंगा रावत ने यह पुरस्कार 1961 में राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के हाथों से प्राप्त किया। नैनीताल की ही राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त गंगोत्री गब्र्याल व पार्वती गुरूरानी का नाम भी आज शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किये गये कार्यों के लिए लिया जाता है। अधिकांश राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त यह शिक्षिकायें नैनीताल स्थित जीजीआईसी से जुड़ी रही। पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस पर शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को राष्ट्रपति द्वारा शिक्षकों को सर्वोच्च राष्ट्रपति पुरस्कार दिया जाता है। उत्कृष्टता में नैनीताल व कुमाऊं में कार्यरत महिला शिक्षिकाओं के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता है। सबसे पहले अवार्ड पाने वाली शिक्षिका भी नैनीताल की थी। गढ़वाल में पैदा हुई गंगा रावत का कर्म क्षेत्र नैनीताल रहा। जिस विद्यालय में वह कार्यरत रही वहां उन्होंने 100 प्रतिशत परीक्षा परिणाम दिया। बेरीनाग पिथौरागढ़ निवासी हेड मास्टर स्व. ध्यान सिंह रावत से विवाह के बाद वह पति के साथ नैनीताल आ गई। वर्ष 1961 में जीजीआईसी में उप प्रधानाचार्य के पद पर रहते उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चुना गया। उनके द्वारा परीक्षा के उत्तम परिणाम ही नही दिये जाते थे बल्कि वह ग्रामीण बालिकाओं व बाल विधवाओं को भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित करती रही। यह अभियान उन्होंने 1945 से ही शुरू कर दिया था। नैनीताल के खुर्पाताल में ही कार्यरत रही स्व. हंसा बिष्ट उत्तराखंड की पहली विकलांग महिला शिक्षक रही जिन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार मिला। खुर्पाताल निवासी स्व. हंसा बिष्ट को 2007 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें पुरस्कार दिया।
प्रेरित करते हैं प्रेसिडेंट अवार्डी महिला शिक्षकों के कार्य: बिष्ट
नैनीताल।
पहली विकलांग राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त महिला शिक्षिका स्व.हंसा बिष्ट के जीआईसी नैनीताल से सेवानिवृत राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक भाई हेमंत बिष्ट का कहना है कि नैनीताल की इन महिलाओं के कार्य शिक्षकों को ही नहीं बल्कि पूरे समाज को प्रेरित करती है। गंगा रावत नैनीताल ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत में पहली महिला शिक्षक रही जिन्हें उनके कार्यों के लिए पुरस्कृत किया गया। उन्होंने ऐसे समय पर बाल विधवाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित किया जब समाज में विधवाओं को घूमने तक की आजादी तक नही थी। जनजाति क्षेत्र में बालिका शिक्षा के लिए संघर्षरत रही राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त गंगोत्री गब्र्याल व गरीब बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित करने वाली यह शिक्षिका पार्वती गुरूरानी आदर्श शिक्षक के रूप में हमेशा याद की जाती रहेंगी। पर्यावरणविद व अवार्डी गंगा रावत के पुत्र प्रो. अजय रावत का कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड का नाम हमेशा अग्रणी रहा है। विज्ञान कला व साहित्य के क्षेत्र में प्रदेश हमेशा देश को बड़ा सम्मान देता रहा।

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