पर्यावरण
नैनी झील गेज में 11 फीट 9 इंच पर आया जलस्तर, पहली बार जल निकासी हुई
नैनी झील गेज में 11 फीट 9 इंच पर आया जलस्तर, पहली बार जल निकासी हुई
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। सितम्बर माह के अंत तक में मानक के अनुसार नैनी झील वर्षा जल से लबालब होनी चाहिए थी। लेकिन इस बार अगस्त पहले पखवाड़े में ही झील लबालब होने लगी थी। बीते दिनों वर्षा के दौरान पहली बार झील के दो गेटों को खोल कर जल निकासी भी की गई। दरअसल अंग्रेजी शासनकाल से चले आ रहे नियमों के अनुसार झील का जल स्तर 10 फिट पहुंचने पर झील के गेट खोल कर इसकी जल निकासी की जाती है। इसके बाद सितम्बर माह के मध्य तक झील का जल स्तर 11 फिट पहुंचने पर जल निकास की कार्रवाई की जाती है। झील नियंत्रण कक्ष के प्रभारी रमेश गैड़ा के अनुसार इस बार एक मुस्त पानी नही छोड़ा गया। मालूम हो कि नियमा अनुसार 12 फिट जल स्तर आने के बाद लगातार पानी की निकासी की जाती है मानकों के अनुसार 12 फिट जलस्तर अंतिम स्तर माना गया है। वर्ष 2015 में झील का जल स्तर मानक के अनुसार 11 फिट बढ़ा था। बीते वर्ष 4 अक्टूबर को भी जल स्तर 11 फीट 9 इंच था। लेकिन 2016 में वर्तमान जैसी स्थिति थी। इस वर्ष लगातार वर्षा होने से झील का जलस्तर 11 फिट 9 इंच पर आया है। इस प्रगति को संतोषजनक माना जा रहा है। मालूम हो कि प्राकृतिक रूप से नैनी झील वर्षा जल से 60 प्रतिशत व भूमिगत जल से 40 प्रतिशत रिर्चाज होती है। शीतकालीन बर्फबारी व वर्षा के बाद ही भूमिगत जल का संतुलन बना रहता है। लेकिन इस वर्ष न तो बर्फबारी हुई और न ही पर्याप्त शीतकालीन वर्षा हुई। इसके साथ ही लगातार जल दोहन भी किया गया। नतीजन इसका सीधा असर नैनी झील में पड़ा। जनवरी माह में ही झील का जल स्तर लगातार घटने लगा। लेकिन अब इसकी भरपाई संतोषजनक मानी जा रही हैं
जल संग्रहण क्षमता एक करोड़ लीटर अतिरिक्त बढ़ी
नैनीताल। इस वर्ष शीत ऋतु में बर्फवारी व वर्षा नहीं होने के कारण नैनी झील चिन्ताजनक रूप से नीचे आ गई थी। कुछ वर्ष पूर्व झील से गाद निकालने के बाद लोनिवि द्वारा दावा किया है कि झील की जल संग्रहण क्षमता एक करोड़ लीटर अतिरिक्त बढ़ गई है। पिछले दिनों हुई वर्षा के बाद अब झील का जल स्तर बढ़ने लगा है। झील को भरपूर बरसात की आवश्यकता है। नैनी झील 60 प्रतिशत वर्षा जल व 40 प्रतिशत भूमिगत जल से रिचार्ज होती हैं बर्फबारी व बरसात नहीं होने से इस बार भूमिगत जल की कमी हुई विशेषज्ञों के मुताबिक नैनीताल में बर्फबारी भूमिगत जल का प्रमुख स्रोत है जो इस बार नही हुई।