राष्ट्रीय
धनखड़ जी, देखिए इसमें बंगाल क्यों नहीं है महिला अपराध के आंकड़ों पर कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति को घेरा
धनखड़ जी, देखिए इसमें बंगाल क्यों नहीं है महिला अपराध के आंकड़ों पर कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति को घेरा
सीएन, नईदिल्ली। राज्यसभा के सांसद और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़ों को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर निशाना साधा है। मीडिया रिपोर्ट के जरिए एनसीआरबी के आंकड़ों के जरिये सिब्बल ने उपराष्ट्रपति से सवाल पूछा है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 से 2022 के दौरान रेप.गैंगरेप के बाद हत्या के 15551 मामलों दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार देश में हर सप्ताह करीब 5 रेप के बाद हत्या के मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ रेप.गैंगरेप के बाद हत्या के मामलों में यूपी सबसे आगे है। छह साल के राज्यों के आंकड़ों के अनुसार यूपी में सर्वाधिक 280 केस दर्ज हुए। वहीं मध्य प्रदेश में 207, असम में 205 केस दर्ज किए गए। इसके अलावा महाराष्ट्र में 155 और कर्नाटक 79 केस रिपोर्ट हुए। खास बात है कि महिलाओं के खिलाफ रेप के बाद हत्या के मामले में शीर्ष राज्यों में पश्चिम बंगाल का नाम नहीं है। इसी रिपोर्ट के आधार पर सिब्बल ने उपराष्ट्रपति से सवाल किया कि धनखड़ जी देखिए। पश्चिम बंगाल यहां क्यों नहीं हैए कहां है दुर्गुण। उप राष्ट्रपति ने कोलकाता घटना के संदर्भ में किसी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोग इस घटना पर अपने बयानों से जख्मों पर नमक छिड़कने का काम भी कर रहे हैं। एक सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता की तरफ से घटना को सिंप्टोमेटिक मलाइस बताए जाने का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं ऐसी गुमराह आत्माओं से अपने विचारों पर दोबारा विचार करने और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का आह्वान करता हूं। धनखड़ ने कहा कि यह समय राजनीतिक चश्मे से देखने का नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक चश्मा खतरनाक होता है और आपकी निष्पक्षता को खत्म कर देता है। उन्होंने कहा था कि हमारी सभ्यता और लोकतांत्रिक मूल्य उस सम्मान से परिभाषित किए जाएंगे जो हम अपनी महिलाओं और लड़कियों को देते हैं। इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर से कथित दुष्कर्म एवं हत्या के मामले में कुछ गैर सरकारी संगठनों की चुप्पी पर सवाल उठाए थे। धनखड़ ने उस घटना को चरम सीमा पर व्यक्त की गयी बर्बरता बताया था। एम्स ऋषिकेश में एक कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ने गैर सरकारी संगठनों एनजीओ के चयनात्मक मौन की आलोचना करते हुए कहा था कि छोटी-छोटी घटनाओं पर शोर मचाने वाले कुछ गैर सरकारी संगठन आज शांत अवस्था में हैं।