उत्तराखण्ड
अब केदारनाथ गर्भगृह में प्रवेश कर दर्शन कर पाएंगे तीर्थ यात्री
बदरीनाथ.केदारनाथ मंदिर समिति ने गर्भगृह में प्रवेश पर लगाया था प्रतिबंध
सीएन, देहरादून। केदार बाबा के भक्त अब गर्भगृह में भी प्रवेश कर दर्शन कर सकेंगे। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध हटा दिया है। समिति ने भक्तों की भीड़ उमड़ने से गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। श्रद्धालु सभा मंडप से ही बाबा केदार के दर्शन कर रहे थे। केदारनाथ धाम के कपाट छह मई को खुले थे। शुरूआत में ही हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंच रहे थे। इसमें बदरीनाथ धाम में 901081 और केदारनाथ धाम 831600 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। मंदिर समिति के अनुसार कपाट खुलने से अब तक केदारनाथ व बद्रीनाथ धाम में 17.32 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया था। श्रद्धालु सभा मंडप से ही बाबा केदार के दर्शन कर रहे थे। अब भक्तों की संख्या कम होने के बाद शुक्रवार से केदारनाथ धाम में तीर्थयात्रियों के लिए मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया है। अब श्रद्धालु गर्भगृह में जाकर बाबा केदार के दर्शन कर रहे हैं। चारों धाम में केदारनाथ धाम में ही यात्रियों को गर्भ गृह के दर्शन करने की अनुमति होती है। जबकि बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में श्रद्धालु बाहर से ही दर्शन करते हैं। केदारनाथ मन्दिर उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में है। केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहां स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया। यह मन्दिर एक छह फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मन्दिर में मुख्य भाग मंडप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। मन्दिर का निर्माण किसने कराया, इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता है, कहा जाता है कि इस मन्दिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था। मन्दिर को तीन भागों में बांटा जा सकता है गर्भ गृह , मध्यभाग और सभा मण्डप। गर्भ गृह के मध्य में भगवान श्री केदारेश्वर जी का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थित है जिसके अग्र भाग पर गणेश जी की आकृति और साथ ही मां पार्वती का श्री यंत्र विद्यमान है। ज्योतिर्लिंग पर प्राकृतिक यगयोपवित और ज्योतिर्लिंग के पृष्ठ भाग पर प्राकृतिक स्फटिक माला को आसानी से देखा जा सकता है। श्री केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग में नव लिंगाकार विग्रह विधमान है इस कारण इस ज्योतिर्लिंग को नव लिंग केदार भी कहा जाता है। श्री केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के चारों ओर विशालकाय चार स्तंभ विद्यमान है जिनको चारों वेदों का धोतक माना जाता है, जिन पर विशालकाय कमलनुमा मन्दिर की छत टिकी हुई है। ज्योतिर्लिंग के पश्चिमी ओर एक अखंड दीपक है जो कई हजारों सालों से निरंतर जलता रहता है जिसकी हेर देख और निरन्तर जलते रहने की जिम्मेदारी पूर्व काल से तीर्थ पुरोहितों की है। गर्भ गृह में स्थित चारों विशालकाय खंभों के पीछे से स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान श्री केदारेश्वर जी की परिक्रमा की जाती है । केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों का कहना है यहां स्वयम्भू शिवलिंग है।शिवलिंग को जल, दूध, दही आदि द्रव्य पदार्थ चढ़ते हैं। जिस वजह से यहां पर यात्रियों को गर्भ गृह में जाने दिया जाता है। दूसरे मंदिरों में मूर्ति रूप में होने की वजह से गर्भ गृह तक जाने पर प्रतिबंध होता है। ऐसे में केदारनाथ धाम में ही यात्रियों को गर्भ गृह जाने की परमिशन है।