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नैनी झील से निकाली जायेंगी खतरनाक कामन कार्प व बिगहेड मछलियां

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झील के वनस्पति व झील की मित्र मछलियों के अंडों को भारी मात्रा में पहुंच रहा नुकसान
डीएम ने कहा-कामन कार्प व बिगहेड मछलियों को निकालने को बनाई जा रही कार्य योजना बनेगी
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
 शहर की जीवनदायिनी नैनी झील एक बार फिर अवांछित बिगहैड मछलियों से प्रदूषित हो रही है। झीलों व नदियों की जैव पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाने में जलचरों का विशेष महत्व होता है लेकिन नैनी झील में बिगहैड कार्प प्रजाति की ऐसी मछलियां है जो झील को प्रदूषित कर रही है। झील विकास प्राधिकरण व पंतनगर मत्स्य महाविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से समय-समय पर नैनी झील से बिगहैड मछलियां निकाली जाती हैं। लेकिन लम्बे समय से यह मछलियां नहीं निकाले जाने से इनकी तादात में इजाफा हो गया है। वही कॉमन कार्प प्रजाजियों की मछलियॉ पानी के अन्दर लिपनिंग करती है जिससे झील को नुकसान हो सकता है वर्तमान में झील 67 प्रतिशत मछलियॉ है। चाइनीज प्रजाति की मछलियां नैनी झील में हैं। जिन्हें पूर्व में कई बार निकाला जा चुका है। लेकिन इनकी तादाद बढ़ती जा रही है। इधर जिला प्रशासन इन दोनों प्रजातियों को निकालने की कार्ययोजना बना रहा है। बता दें कि झील में बिगहैड मछलियां अधिक होने पर यह झील को प्रदूषित करती है। यह आक्सीजन की मात्रा अधिक लेने के साथ ही अन्य झील मित्र मछलियों के अंडों व उनके आहारतंत्र को नुकसान पहुंचाती है। पंतनगर मत्स्य महाविद्यालय व एलडीए द्वारा समय-समय पर इन्हें निकाला जाता है। कुल मिला कर देखा जा रहा है कि झील में इनकी तादाद लगातार बढ़ रही है। चाइनीज प्रजाति की मछलियां नैनी झील में कहां से आई इसका पता आज तक नहीं लग पाया है।
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नैनी झील पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने के लिए महाशीर सहित कई प्रजातियों को पाला गया है। झील में बिगहैड व कामन कार्प मछलियां अधिक होने पर यह झील को प्रदूषित करती है। कॉमन कार्प प्रजाजियों की मछलियॉ पानी के अन्दर लिपनिंग करती है जिससे झील को नुकसान हो सकता है वर्तमान में झील 67 प्रतिशत मछलियॉ है। पूर्व में पंतनगर मत्स्य महाविद्यालय व एलडीए द्वारा समय-समय पर इन्हें निकाला गया था। कामन कार्प व अन्य नुकसानदायक मछलियों को निकाले जाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। वैज्ञनिकों की सलाह पर झील में कॉमन कार्प मछलियों को सीमित करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। इस संबंध में पंतनगर मत्स्य महाविद्यालय से सम्पर्क किया जा रहा है। धीराज गर्ब्याल, जिलाधिकारी नैनीताल।

झील के पारिस्थितिकी तंत्र को पाली गई महाशीर मछली
नैनीताल। 
नैनी झील को प्रदूषण रहित रखने के लिए यहां महाशीर, सिल्वर कार्प, गोल्डन कार्प मछलियां पाली गई है जो झील पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखती है। लेकिन वर्ष 2004 में झील में एयरेशन करने के दौरान पता चला कि झील को प्रदूषित करने वाली बिगहैड कार्प व गम्बुशिया मछली भी झील में है। झील विकास प्राधिकरण व पंतनगर मत्स्त्य महाविद्यालय के बीच करार हुआ कि झील को प्रदूषित करने वाली इन मछलियों को समय-समय पर निकाला जायेगा। 2004-05 में गम्बुशिया व बिगहैड मछलियां को निकालने का कार्य शुरू हुआ। झील में अब गम्बुशिया मछली तो नहीं है लेकिन बिगहैड मछलियां काफी संख्या में है। पूर्व में लगभग सैकड़ों मछलियां निकाली गई लेकिन यह नाकाफी साबित हुई है।
झील मित्र मछलियों को नही पनपने देती बिगहैड
नैनीताल।
 पर्यावरण प्रेमी व नासा के अध्यक्ष यशपाल रावत का कहना है कि झील में काफी संख्या में बिगहैड भारी मात्रा में देखी जा रही है। इन मछलियों के मल से निकले तरल पदार्थों के कारण झील के किनारे में एक परत पैदा करती है जो झील के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए नुकसान दायक है। इसके अलावा है मछली झील की लाभदायक वनस्पति को भी नुकसान पहुंचाती है। एलडीए द्वारा थोड़ी मात्रा में इन्हें निकाला जाता है लेकिन इनकी प्रजनन क्षमता अधिक होने के कारण यह तेजी से पनपती है। अन्य मछलियों के अंडों को भी यह नुकसान पहुंचाती है इससे अन्य मछलियों के पनपने में बिगहैड सबसे अधिक बाधा पहुंचाती है। झील में काफी संख्या में बिगहैड भारी मात्रा में देखी जा रही है। लिहाजा संबंधित विभागों को इन्हें निकालने का कार्य करना चाहिए। शीतकाल में समस्या और बढ़ सकती है।
सावधान! बिग हैंड को पाला तो हो सकती है जेल
नैनीताल। बिग हैंड और थाइलैंड के मांगूर प्रजाति की मछलियों से भारतीय प्रजातियों की मछलियों को खतरा पैदा होने के चलते इस पर पूरे देश में पहले से प्रतिबंध लगा हुआ है। दरअसल, बिग हैंड और थाइलैंड मांगूर मछली कम समय में तेजी से वंशवृद्धि करती है, लेकिन इस प्रजाति की मछली से नदी तालाबों में पनपने वाले जीवों का खासा खतरा हो रहा है। बिगहैड मछली ओर थाइलैंड मछली मांगूर से खतरा यह है कि इस प्रजाति की मछलियां अपनी प्रजाति की मछलियों को खाने के अलावा दूसरी प्रजातियों की मछलियों को भी अपना भोजन बना लेती हैं। ऐसे में इन प्रजातियों की मछलियों को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के लिहाज से इस प्रजाति की मछली का व्यवसाय करना, उन्हें पालना, दूसरी जगहों से लाना या भेजना इन तमाम चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध का पालन नहीं करने की दशा में एक साल का कारावास या दस हजार रूपए के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. ऐसे में इन प्रजातियों की मछलियों को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के लिहाज से इस प्रजाति की मछली का व्यवसाय करना उन्हें पालना, दूसरी जगहों से लाना या भेजना इन तमाम चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध का पालन नहीं करने की दशा में एक साल का कारावास या दस हजार रूपए के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।

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