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धर्मक्षेत्र

आज 21 अप्रैल को कालाष्टमी का व्रत रख भगवान शिव के भैरव स्वरूप की करें उपासना

सीएन, हरिद्वार। आज 21 अप्रैल को कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है। दरअसल भैरव के तीन रूप हैं काल भैरव, बटुक भैरव और स्वर्णाकर्षण भैरव। कालाष्टमी  के दिन इनमें से काल भैरव की पूजा की जाती है। कहते हैं कि इस दिन भगवान शंकर के काल भैरव स्वरूप की उपासना करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती है। साथ ही व्यक्ति की सभी मनचाही मुरादें भी पूरी होती है। बता दें कि हर महीने के कृ्ष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत करने का विधान है। तो आइए जानते हैं कि कालाष्टमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

कालाष्टमी व्रत 2025 शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 20 अप्रैल को शाम 7 बजकर 1 मिनट पर होगा। अष्टमी तिथि का समापन 21 अप्रैल को शाम 6 बजकर 58 मिनट पर होगा। कालाष्टमी के दिन निशिता काल की पूजा का समय  रात 12 बजकर 4 मिनट से रात 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। वहीं ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 48 मिनट बजे से सुबह 5 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।

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कालाष्टमी के दिन काल भैरव के इन मंत्रों का करें जाप

  • ॐ कालभैरवाय नम:
  • ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं
  • अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि
  • ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
  • ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं
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कालाष्टमी व्रत का महत्व

कालाष्टमी का व्रत करने और काल भैरव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। साथ ही शनि और राहु के दुष्प्रभावों से भी छुटकारा मिलता है। काल भैरव को तंत्र-मंत्र का देवता माना गया है। ऐसे में कालाष्टमी के दिन काल भैरव की उपासना करने से हर तरह की सिद्धि की प्राप्ति होती है।

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