धर्मक्षेत्र
आज 27 मई को है शनि जयंती : साढ़ेसाती और ढैय्या सता रहा है, रात दीपक जलाकर जीवन में लाएं प्रकाश
आज 27 मई को है शनि जयंती: साढ़ेसाती और ढैय्या सता रहा है, रात दीपक जलाकर जीवन में लाएं प्रकाश
सीएन, हरिद्वार। शनि जयंती इस साल 27 मई 2025 को मनायी जाएगी। शनि जयंती की विशेष रात पर अगर कुछ उपाय कर लें तो शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या के बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस बार के शनि जयंती 2025 की रात को अगर कुछ विशेष और अचूक उपाय कर लें तो शनि दोष से लेकर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या के बुरे से बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है। शनि जयंती पर वैसे तो शनि मंदिर में दीपक जलाने का विधान है लेकिन अगर इस विशेष रात पर भैरव मंदिर में जाकर तेल का दीपक जलाएं व विधि पूर्वक बाबा भैरव की पूजा करें तो शनि का प्रकोप शांत हो सकता है। मंगलवार के दिन इस उपाय को करने के अनेक लाभ भी मिल सकते हैं। शनि की साढ़ेसाती के कष्ट जो लोग लंबे समयसे झेल रहे हैं उनकों शनि जयंती की रात को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए, साथ ही शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, इस उपाय से शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से होने वाली मानसिक और आर्थिक परेशानियों का अंत हो सकता है। शनि जयंती और मंगलवार साथ होने से अगर इस दिन हनुमान जी की पूजा करें तो शनिदेव परेशान नहीं करेंगे। शनि जयंती पर अगर हनुमान जी के सामने चमेली के तेल से दीया जलाएं और वहीं सामने बैठकर सुंदरकांड का पाठ करें तो इस सरल उपाय से शनि दोष दूर हो सकता है। ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है और इस दिन व्रत का संकल्प भी किया जाता है। अगर इस अमावस्या तिथि पर रात के समय सरोवर, नदी या तालाब जैसी किसी जल वाले स्थान पर दीपदान करें तो पितर प्रसन्न होकर परिवार को खुशियों का आशीर्वाद देते हैं। शनि जयंती पर अगर कोई साधक अपने घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाता है तो उसके घर में मां लक्ष्मी का आगमन हो सकता है। दीया जलाने के इस उपाय से शनिदेव भी अति प्रसन्न होते हैं। शनि जयंती और अमावस्या के संयोग पर अगर घर के ईशान कोण में स्थित मंदिर में दीया जलाएं तो इससे देवी.देवताओं की कृपा घर पर बरसती है और घर में शांति, सुख और समृद्धि बनी रहती है। ह माना जाता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि देवता का जन्म हुआ था। वह सूर्य देव और छाया देवी के पुत्र माने जाते हैंं। शनि जयंती पर उनकी पूजा करने से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। शनिदेव यम और यमुना के भाई हैं और वे व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं।
